बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) को निर्देश दिया है कि वे एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के माता-पिता द्वारा दायर की गई कस्टडी की याचिका पर फैसला लेने का आदेश दिया है. दरअसल, लड़की को देह व्यापार करने के लिए माता-पिता ने एक ग्राहक को बेच दिया था. इसके बाद लड़की को मिरा भयंदर वसई विरार पुलिस की मानव तस्करी विरोधी इकाई ने 28 मार्च को बचाया था. पुलिस ने बाताया कि लड़की को बहुत बड़े कतरे से बाहर निकाला गया.
एनसीओ ने लगाया आरोप
दरअसल, एनजीओ ने लड़की के पिता पर आरोप लगया है कि उसे उसके पिता ने ही जिस्म फरोशी के धंधे में धकेला है. इसके बाद जब लड़ी को उस धंधे से बचाया गया तो ठाणे सेशन्स कोर्ट ने लड़की को एक रेस्क्यू फाउंडेशन की अभिरक्षा में रखा था. इशके बाद लड़की के पिता ने कस्टडी के लिए याचिका दायर की थी, जिसे स्वकार कर लिया गया. लेकिन इस आदेश को एनजीओ ने हाइकोर्ट में चुनौती दी है.
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कोर्ट ने इस मामले में सीडब्ल्यूसी को फैसला लेने का निर्देश दिया है. पुलिस ने बताया कि इस मामले में इम्मोरल ट्रैफिक (प्रीवेंशन) एक्ट (आईटीपीए) के तहत कार्रवाई की गई थी. लड़की के बारे में जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम ने एक नकली ग्राहक भेजा और फिर लड़की को बड़े खतरे से बचाया था. अब उसके माता-पिता उसकी कस्टडी चाहते हैं.
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Bombay HC: पिता ने नाबालिग को जिस्म फरोशी के व्यापार में धकेला, बॉम्बे हाइकोर्ट ने कस्टडी को लेकर सुनाया बड़ा फैसला