डीएनए हिंदी: वारिस पंजाब दे के चीफ अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब में हो रहे पुलिस एक्शन के बाद एक बार फिर से देश के खिलाफ खालिस्तानी ग्रुप एक्टिव हो गए हैं. अमृतपाल सिंह, जरनैल सिंह भिंडरावाले की राह पर चल पड़ा है. वह सिखों के लिए एक अलग देश की मांग करता है. 1970 से अलग खालिस्तान की शुरू हुई मांग, 2023 तक नहीं थमी. अमृतपाल सिंह अलगाववाद का नया चेहरा बन गया है.
जिस तरह पंजाब पुलिस खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए अलग-अलग पैंतरेबाज़ी कर रही है, उसके बाद ब्रिटेन में तनाव अपने चरम पर है. खालिस्तान समर्थकों ने कई इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया है.
लंदन में भारतीय हाईकमीशन को एक बार फिर घेर लिया गया, जिसके बाद खालिस्तान समर्थकों ने हमला बोल दिया. अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने भारत भवन के नाम से मशहूर बिल्डिंग पर ही धावा बोल दिया, जिसका लंदन पुलिस ने कड़ा प्रतिरोध किया.
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ब्रिटेन में खालिस्तान और अमृतपाल पर बरपा है हंगामा
खालिस्तानियों ने 19 मार्च को भारतीय हाई कमीशन से तिरंगे को उतार दिया था. उन्होंने एक बार फिर लंदन में भारत भवन को निशाना बनाने की कोशिश की. बिल्डिंग की सुरक्षा में तैनात लंदन पुलिस पर खालिस्तानियों ने स्याही और पानी की बोतलें भी फेंकी. खालिस्तान के 2,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी झंडे लहराते हुए भारतीय उच्चायोग तक पहु्ंच गए.
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पुलिस की मौजूदगी और बैरिकेड्स की वजह से आगे नहीं बढ़ पाए. उन्होंने पुलिस को परेशान करने की बार-बार कोशिश जरूर की. विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश सरकार भारतीय उच्चायोग के बाहर सुरक्षा का रिव्यू करेगी. भारत ने ब्रिटिश के राजदूत को तलब किया था. अब अमृतपाल सिंह की वजह से एक बार फिर हंगामा बरपा है.
क्यों अमृतपाल की वजह से विदेश में हो रहा हंगामा?
अमृतपाल सिंह के संगठन वारिस पंजाब दे ने पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान मूवमेंट शुरू कर दिया है. इस संगठनों को विदेशी फंडिंग मिलने की बात सामने आई है. पंजाब पुलिस सारे सूत्रों की छानबीन में जुट चुकी है. भगोड़े अमृतपाल सिंह के बारे में कोई खबर अब तक नहीं लग सकी है. उसे समर्थक विदेश में बैठे हैं और वहीं से पूरा रैकेट रन कराते हैं. ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों में भी खालिस्तान के सपोर्टर हैं, यही वजह है कि अमृतपाल सिंह प्रकरण पर जमकर हंगामा हो रहा है.
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अमृतपाल सिंह की वजह से कैसे तेज हो गया खालिस्तान मूवमेंट, क्यों ब्रिटेन में बेलगाम हुए अलगाववादी? पढ़ें