डीएनए हिंदी: Amrapali Group News- आम्रपाली ग्रुप (Amrapali Group) के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल शर्मा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जो पहले से ही फ्लैट खरीदारों के पैसे की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जमानत पर चल रहे हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (central bureau of investigation) ने अनिल शर्मा (Managing Director Of Amrapali Group Anil Sharma) को 6 लोगों के साथ एक हाईप्रोफाइल मर्डर केस में आरोपी बनाया है. इन सभी पर बिहार के लखीसराय के मशहूर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बालिका विद्यापीठ (Balika Vidyapeeth Lakhisarai) के सचिव डॉ. शरद चंद्रा की हत्या में शामिल होने का आरोप है. सीबीआई ने इस केस की जांच पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के आदेश पर शुरू की है.
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साल 2014 में हुई थी चंद्रा की हत्या
डॉ. शरद चंद्रा को 2 अगस्त, 2014 को उस समय गोली मार दी गई थी, जब वे यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर अपने आवास में बैठकर अखबार पढ़ रहे थे. डॉ. चंद्रा उस समय लखीसराय की बालिका विद्यापीठ के सचिव थे. इस मामले की जांच तब से स्थानीय पुलिस ही कर रही थी, लेकिन उसी साल अक्टूबर में यह केस बिहार पुलिस (Bihar Police) के अपराध जांच विभाग (Bihar Police CID) को हैंडओवर कर दिया गया था. तभी से जांच लटकी हुई थी.
चंद्रा की पत्नी खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
साल 2017 में चंद्रा की पत्नी ऊषा शर्मा ने पटना हाई कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल की थी, जिसमें CID जांच पर सवाल उठाया गया था. करीब 5 साल सुनवाई के बाद पिछले महीने हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के जज जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था.
CBI ने बुधवार को दर्ज की है FIR
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने इस मामले में बुधवार को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कर दी. FIR के मुताबिक, आरोप है कि अगस्त 2009 में आम्रपाली ग्रुप के एमडी अनिल शर्मा ने राजेंद्र प्रसाद सिंघानिया, डॉ. प्रवीण कुमार सिन्हा, श्याम सुंदर प्रसाद और शंभू शरण सिंह की मदद से बालिका विद्यापीठ की ट्रस्ट को हड़प लिया था. इस ट्रस्ट से मृतक चंद्रा को जबरन हटाया गया. इसके बाद से ही दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था.
रिपोर्ट में आगे लिखा है, यह भी आरोप है कि बालिका विद्यापीठ की इनकम को डॉ. प्रवीण कुमार सिन्हा और डॉ. श्याम सुंदर सिंह एक निजी अकाउंट खोलकर हड़प कर गए थे. इसी कारण मृतक शरद चंद्रा ने बालिका विद्यापीठ को गैरकानूनी तरीके से संचालित किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्हें लगातार डराया जा रहा था और उन पर हमला भी हुआ था. उनका घर तोड़ दिया गया था, जबकि उनके ऊपर फायरिंग भी की गई थी.
अनिल शर्मा साल 2014 से ही अग्रिम जमानत पर
अनिल शर्मा हत्या के इस मामले में साल 2014 से ही अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं. यह जमानत उन्होंने दिसंबर 2014 में ली थी. पेशे से बिल्डर शर्मा इस समय एक अन्य चर्चित मामले में भी मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर रिहा चल रहे हैं. उन्हें सितंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में जेल भेजा था.
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Amrapali Group के एमडी पर मर्डर का आरोप, CBI ने FIR दर्ज कर शुरू की जांच