तमिलनाडु में इन दिनों भाषा विवाद अपने चरम पर बना हुआ है. वहां की सरकार और सरकार में काबिज डीएमके की ओर से इस मुद्दे को लेकर जमकर सरकार को निशाना बनाया जा रहा है. उनकी ओर से केंद्र सरकार ओर बीजेपी को इसको लेकर लागातर घेरने की कोशिश की जा रही है. तमिलनाडु की सरकार केंद्र सरकार के ऊपर आरोप लगा रही है कि वो नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषा नीति को लागू कराना चाहती है. राज्य सरकार का कहना है कि राज्य के लोगों के लिए दो भाषा ही काफी है. तमिल और अंग्रेजी. वहीं डीएके इसको लेकर केंद्र सरकार पर तीसरी भाषा के तौर हिंदी थोपने का आरोप लगा रही है. प्रदेश के सीएम एमके स्टालिन की ओर से भी केंद्र सरकार को ऊपर हिंदी को प्रमोट करने के आरोप लगाए गए हैं. वहीं इन सबसे बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से इस मुद्दे को लेकर बड़ा बयान दिया गया. उन्होंने तमिलनाडु के एमके स्टालिन से प्रदेश में इंजीनियरिंग और मेडिकल की स्टडी में तमिल भाषा के इस्तेमाल की सलाह दी. साथ ही उन्होंने तमिल भाषा की जमकर तारीफ की.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कही ये सारी बातें
अमित शाह की ओर से कहा गया कि 'नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में परिवर्तन किए गए हैं. अब ये साफ कर दिया गया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के प्रत्याशी अपनी स्थानीय भाषा में भी परीक्षा में भाग ले सकेंगे.' अमित शाह की ओर से ये सारी बातें शुक्रवार को कही गई. वो तमिलनाडु में मौजूद आरटीसी थक्कोलम में उपस्थित थे. वहां वो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक आयजन में शामिल होने आए थे. ये आयोजन CISF के 56वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में रखा गया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि परीक्षा तमिल भाषा में भी दी जा सकता ही. मैं यहा के सीएम स्टालिन से अनुरोध करता हूं कि यहां के स्टूडेंट्स के फायदे के लिए तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा शुरू करें'.
क्या है मौजूदा भाषा विवाद?
अमित शाह की ओर से ये बयान ऐसे समय में दिया गया है जब डीएमके की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत तीन भाषा नीति का विरोध किया जा रहा है. साथ ही इस नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार के ऊपर हिंदी को थोपने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से इन सभी आरोपों को खारिज किया जा चुका है. साथ ही बीजेपी ने इसको लेकर डीएमके के ऊपर पलटवार करते हुए आरोप लगाया है कि वो वोट बैंक के लिए लोगों की भावनाओं के साथ खेल रही है, और भाषा की राजनीति कर रही है. राज्य की सरकार का कहना है कि राज्य में दो भाषा नीति को ही माना जाएगा. तमिल और अंग्रेजी. साथ ही कहा गया है कि यदि तीन नीति को फिर भी लागू कराया गया तो राज्य में एक और बड़ा भाषा आंदोलन होगा. इस मौजूदा भाषा विवाद को लेकर राज्य से लेकर केंद्र तक में घमासान छाया हुआ है.
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Amit Shah (File Photo)
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