डीएनए हिंदी: अलग-अलग धर्मों के एक जोड़े ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करके पुलिस सुरक्षा की मांग की थी. अब हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप टाइप पास है. अपनी टिप्पणी में हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें स्थिरता और गंभीरता नहीं होती है. इस जोड़े में पुरुष पार्टनर के खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले को खारिज करने के लिए हाई कोर्ट में अपील की गई थी. यह शिकायत महिला पार्टनर के रिश्तेदारों ने दर्ज कराई थी.
इस मामले पर हाई कोर्ट के जज राहुल चतुर्वेदी और मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की बेंच ने सुनवाई की. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को वैधता दी थी. अब हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव इन रिलेशनशिप को वैधता दी है लेकिन 20 से 22 साल की उम्र में सिर्फ दो महीने में हम ये नहीं कह सकते हैं यह कपल अपने रिलेशनशिप को लेकर इतना गंभीर हो सकता है. ऐसे रिश्ते अस्थायी होते हैं.'
यह भी पढ़ें- चक्रवात हामून हुआ खतरनाक, IMD ने जारी किया 7 राज्यों में अलर्ट
संरक्षण देने से हाई कोर्ट का इंतजार
हाई कोर्ट ने आगे कहा, 'जिंदगी गुलाब का बिस्तर नहीं है. यह हर कल की कड़ी और मुश्किल वास्तविकता से परीक्षा लेता है. हमारा मानना है कि ऐसे रिश्ते आमतौर पर सिर्फ टाइमपास, अस्थायी और बेहद कमजोर होते हैं. ऐसे में हम इस कपल को किसी तरह का संरक्षण नहीं दे सकते हैं क्योंकि मामला अभी शुरुआती जांच के दौर में ही है.'
यह भी पढ़ें- नोट छापने वाले प्रेस में निकली है नौकरी, जानिए कैसे कर सकते हैं अप्लाई
दरअसल, लड़की के घरवालों ने एफआईआर दर्ज करवाई है और कहा है कि उसके मुस्लिम बॉयफ्रेंड ने लड़की का अपहरण कर लिया है. अपहरण करने के आरोप में गैंगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. लड़की के वकील का कहना है कि वह 20 साल की है, बालिग है और वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
कपल ने मांगी थी सुरक्षा, हाई कोर्ट ने कहा, 'टाइम पास है लिव इन रिलेशनशिप'