इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम के सामने पेश हुए. हाईकोर्ट के जज ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादास्पद बयान दिया था. जिसको वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष ने विरोध जताया. सु्प्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्न की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने उनके पर सफाई मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को बयानों पर आधारित खबरों का संज्ञान लिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी. सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण पर अखबारों में छपी खबरों का संज्ञान लिया और हाईकोर्ट से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. फिलहाल यह मामला SC में विचारधीन है.
क्या है मामला?
बता दें कि 8 दिसंबर को वीएचपी के एक कार्यक्रम में हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने अन्य बातों के अलावा कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है. वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वीएचपी के विधिक प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि कानून बहुसंख्यक के अनुसार काम करता है. विपक्षी नेताओं ने उनके कथित बयानों पर सवाल उठाए और इसे घृणास्पद भाषण करार दिया. गैर-सरकारी संगठन ‘कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ के संयोजक अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के आचरण की आंतरिक जांच कराए जाने की मांग की.
प्रशांत भूषण ने कहा कि न्यायाधीश ने न्यायिक नैतिकता और निष्पक्षता एवं धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया. CPI-M की नेता वृंदा करात ने 8 दिसंबर को CJI संजीव खन्ना को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति शेखर यादव के भाषण को उनकी शपथ का उल्लंघन बताया और कहा कि न्यायालय में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है.
(With PTI inputs)
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की विवादित टिप्पणी पर बवाल, SC कोलेजियम ने मांगा जवाब