शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत की आगामी पुस्तक 'नरकतला स्वर्ग' (स्वर्ग में नरक), जो आर्थर रोड जेल में उनके समय और जांच एजेंसियों के साथ उनकी मुठभेड़ों का वर्णन करती है, ने अपनी औपचारिक रिलीज से पहले ही राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. इस रविवार को उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मौजूदगी में लॉन्च होने वाली इस पुस्तक के कुछ अंश  ऐसे हैं जिसने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है और प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. 

सबसे विस्फोटक खुलासों में से एक यह दावा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने यूपीए के दौर में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अमित शाह को जमानत दिलाई, जो उस समय गुजरात में एक हाई-प्रोफाइल हत्या के मामले में सीबीआई की जांच के दायरे में थे.

अमित शाह को जमानत दिलाने में शरद पवार ने की मदद'

ध्यान रहे कि 2010 में, शाह कई आरोपों का सामना कर रहे थे और उन्हें गुजरात से 'तड़ीपार' घोषित किया गया था. अपनी किताब में राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र कैडर के एक सीबीआई अधिकारी शाह की जमानत का कड़ा विरोध कर रहे थे और यूपीए सरकार - खासकर कांग्रेस - उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही थी.

किताब के अनुसार, तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनके यूपीए सरकार के साथ तनावपूर्ण संबंध थे, ने मदद के लिए शरद पवार से संपर्क किया. उस समय मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पवार ने कथित तौर पर हस्तक्षेप किया और शाह की जमानत में मदद की.

बाल ठाकरे की शरण में आए अमित शाह 

किताब आगे जाकर शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे से जुड़ी दूसरी घटना का जिक्र करती है. संजय राउत ने दावा किया कि अंतरिम जमानत मिलने के बावजूद गिरफ्तारी के डर से अमित शाह अपने बेटे जय शाह के साथ अचानक मातोश्री (ठाकरे के आवास) पहुंच गए. कड़ी सुरक्षा के कारण पहले प्रयास में प्रवेश नहीं मिलने पर शाह अगले दिन वापस लौटे और आखिरकार शिवसेना प्रमुख से मिलने में सफल रहे.

राउत का दावा है कि मुलाकात के दौरान शाह भावुक हो गए और मदद की अपील करते हुए बालासाहेब ठाकरे से कहा कि हिंदुत्व के प्रति उनकी वफादारी ने अब उन्हें और उनके परिवार को खतरे में डाल दिया है.

अपील से प्रभावित होकर बालासाहेब ने एक विवेकपूर्ण लेकिन निर्णायक फोन कॉल किया. राउत की किताब में बालासाहेब ठाकरे के उस अनाम प्राप्तकर्ता से कहे गए शब्दों को उद्धृत किया गया है,'आप जिस भी पद और कुर्सी पर हों, यह मत भूलिए कि आप हिंदू भी हैं.'   राउत के अनुसार, उस एक कॉल ने अमित शाह के लिए कानूनी बाधाओं को कम किया और 'उनके राजनीतिक उत्थान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई'.

लेकिन किताब एहसानों की गिनती तक ही सीमित नहीं है. राउत ने कड़वाहट के साथ लिखा है कि सत्ता में आने के बाद अमित शाह ने उन लोगों से मुंह मोड़ लिया जो कभी उनके साथ खड़े थे. उन्होंने लिखा है, 'अमित शाह उन सभी एहसानों को भूल गए और शिवसेना और ठाकरे परिवार के साथ बहुत क्रूर व्यवहार किया.'

भाजपा, शिवसेना ने दी तीखी प्रतिक्रिया!

सजय राउत के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह बच्चों के लिए काल्पनिक कहानियां पढ़ने के लिए बहुत बूढ़े हो गए हैं. पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि, 'मैंने फिक्शन और कहानियां पढ़ना बंद कर दिया है. अब मेरी उम्र ऐसी नहीं रही कि मैं बच्चों के लिए बनी ऐसी चीज़ें पढ़ सकूं. इसलिए मैं उन्हें नहीं पढ़ता. भूल जाइए, संजय राउत आखिर कौन हैं? क्या वह कोई बड़े नेता हैं?'

शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के सांसद संजय सिरसट ने भी संजय राउत के दावे को खारिज करते हुए उन पर मनगढ़ंत कहानियां  बनाने का आरोप लगाया. सिरसट ने कहा कि, जेल में समय बिताने के बाद, संजय राउत ने नरकटला स्वर्ग नामक एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने मनगढ़ंत कहानियां बनाने की कोशिश की.

बालासाहेब ठाकरे ने, चाहे अमित शाह की मदद की हो या पीएम मोदी की, कभी इस बारे में शेखी नहीं बघारी और न ही खुलकर बात की. चुपचाप दूसरों की मदद करना उनका स्वभाव था. लेकिन संजय राउत ने एक कहानी लिखी.'

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Ahead of its launch, Sanjay Raut jail memoir Narkatla Swarg creates controversy claims Sharad Pawar Bal Thackeray helped Amit Shah secure bail during UPA CBI case
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लॉन्च से पहले संजय राउत की किताब ने शुरू की बहस, लगाए गृहमंत्री पर गंभीर आरोप
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संजय राउत ने अपनी किताब में जिन बातों का जिक्र किया है वो हैरान करने वाली हैं
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लॉन्च से पहले संजय राउत की किताब  'नरकतला स्वर्ग' ने शुरू किया विवाद, अमित शाह पर जो लिखा,बातें करेंगी सन्न!

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लॉन्च से पहले संजय राउत की किताब ने शुरू किया विवाद, लगाए गृहमंत्री पर गंभीर आरोप, भाजपा में खलबली