डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) नए संसद भवन का उद्घाटन करने से एक दिन पहले शनिवार को अपने आवास पर अधीनम (पुजारियों) से मिले और उनका आशीर्वाद लिया. तमिलनाडु से दिल्ली आए अधीनम ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की और मंत्रोच्चारण के बीच उन्हें सेंगोल यानी राजदंड (Sengol)सहित विशेष उपहार दिए. पीएम मोदी ने उनका आशीर्वाद लिया और उनका अभिनंदन किया.
तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा. अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया यह रस्मी सेंगोल इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था. उद्घाटन समारोह का 20 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार किए जाने के बीच सेंगोल को लेकर भी राजनीतिक विवाद छिड़ गया है.
#WATCH | Delhi | Ahead of the inauguration ceremony of #NewParliamentBuilding, PM Narendra Modi meets the Adheenams at his residence and takes their blessings. The Adheenams handover the #Sengol to the Prime Minister. pic.twitter.com/0eEaJUAX58
— ANI (@ANI) May 27, 2023
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कांग्रेस ने मांगे सबूत
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बारे में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘सेंगोल’ को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किए जाने का प्रतीक बताया हो. ‘सेंगोल’ पर कांग्रेस के रुख को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर अच्छी तरह से विचार करने की आवश्यकता है. उन्होंने पार्टी के इस दावे की निंदा की कि 1947 में ‘सेंगोल’ को ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता सौंपे जाने का प्रतीक होने का कोई उदाहरण नहीं है.
बता दें कि कई विपक्षी दलों के बहिष्कार करने के बावजूद पीएम मोदी रविवार को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. विपक्ष के 20 दलों का कहना है राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि नया संसद भवन प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करेगा. उन्होंने नए परिसर का वीडियो भी साझा किया था.
75 रुपये का सिक्का होगा जारी
नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर सरकार 75 रुपये का स्मारक सिक्का भी जारी करेगी. वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक कार्य विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, नए संसद भवन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया जाएगा. सिक्के का वजन 35 ग्राम है और यह चार धातुओं से बना हुआ है. सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का शेर अंकित है, जिसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है. इसके बाईं ओर देवनागरी में ‘भारत’ और दाईं ओर अंग्रेजी में ‘इंडिया’ लिखा होने के साथ ही रुपये का प्रतीक चिन्ह भी अंकित है. वहीं, सिक्के के दूसरी तरफ नए संसद भवन की तस्वीर है। इसके ऊपर देवनागरी में ‘संसद संकुल’ और नीचे अंग्रेजी में ‘पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स’ लिखा है. नीचे 2023 भी लिखा हुआ है.
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टाटा ग्रुप ने किया तैयार
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थल मौजूद होगा. त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें VIP, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग एंट्री गेट हैं. नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है.
मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श
नए संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है. इसमें प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है. राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से लाया गया था. हरा पत्थर उदयपुर से तो अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है. एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया है. इस प्रकार यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की सच्ची भावना को दर्शाता है.’
लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नए भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था. इमारत पर लगी पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी. अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगाया गया था. पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था.
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PM मोदी से मिले अधीनम महंत, नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले सौंपा सेंगोल