राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत दोषी ठहराया गया व्यक्ति उसी शहर या गांव में पैरोल की अवधि नहीं गुजार सकता जहां पीड़िता रहती है. जस्टिस न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में जहां दोषी और पीड़ित एक ही शहर या गांव में रहते हैं, उनमें दोषी को पैरोल अवधि कहीं और गुजारनी होगी.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी और पीड़िता को आमने-सामने नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे पीड़िता को अपनी आपबीती याद आएगी जिसे वह भूलना चाहती है. तीन वर्षीय बच्ची से बलात्कार के दोषी सहीराम ने जिला स्तरीय पैरोल समिति, नागौर द्वारा उसके प्रथम पैरोल आवेदन को अस्वीकार किए जाने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। वह अजमेर जेल में सज़ा काट रहा है.

उसके वकील ने दलील दी कि समिति ने प्रथम पैरोल के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करके कानूनी त्रुटि की है और कहा कि अस्वीकृति के लिए लिया गया आधार प्रासंगिक नहीं है. अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) अनिल जोशी ने प्रार्थना पर आपत्ति जताते हुए अपराध की गंभीरता का हवाला दिया.

अदालत ने सहीराम को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और पांच-पांच हजार रुपये की दो जमानत पर 20 दिनों के लिए प्रथम पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया और शर्त लगाई कि वह पीड़िता के गांव नहीं जाएगा, भले ही वहां उसका घर या परिवार क्यों न हो. (इनपुट- भाषा)

देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.

Url Title
Accused under POCSO Act cant serve parole in victim village Rajasthan high court
Short Title
POCSO का दोषी पीड़िता के गांव में पैरोल की अवधि नहीं गुजार सकता, राजस्थान हाईकोर
Article Type
Language
Hindi
Tags Hindi
Section Hindi
Created by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
प्रतीकात्मक तस्वीर.
Caption

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Date updated
Date published
Home Title

POCSO का दोषी पीड़िता के गांव में पैरोल की अवधि नहीं गुजार सकता, राजस्थान हाईकोर्ट
 

Word Count
283
Author Type
Author