Operation Sindoor vs 1971 India-Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच करीब चार दिन तक चले सैन्य टकराव के बाद सीज़फायर का ऐलान हो गया. 10 मई को सीज़फायर के ऐलान के बाद से ही सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग ये लिख रहे हैं कि भारत को युद्ध विराम नहीं करना था. कांग्रेस पार्टी ने भी ये दिखाते हुए पोस्ट्स किए कि 1971 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तब भारत ने ऐसी जंग लड़ी थी कि पाकिस्तान को सरेंडर करना पड़ गया था.
क्या ऑपरेशन सिंदूर और 1971 की जंग की तुलना वाजिब है?
रक्षा एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये तुलना वाजिब नहीं है क्योंकि इनमें से एक फुल स्केल जंग थी जिसे पाकिस्तान ने शुरू किया था. वहीं दूसरा, पाकिस्तानी ठिकानों पर एक टारगेटेड अटैक था. दोनों में ही भारत ने अपना लक्ष्य हासिल किया, हालांकि दोनों के मकसद एकदम अलग थे.
1971 की जंग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हो रहे अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ लड़ी गई थी. पूर्वी पाकिस्तान में जारी हिंसा के चलते एक करोड़ से ज्यादा रिफ्यूजी सीमा पार करके भारत आ गए थे, जिन्हें शुरुआत में भारत ने सहायता दी थी. इससे तिलमिलाए पाकिस्तान ने 3 दिसंबर को भारत पर हमला कर दिया, जिसके बाद भारत ने जंग का ऐलान किया और एक फुल स्केल वॉर लड़ी. इस युद्ध में आर्मी, नेवी और एयर फोर्स तीनों सेनाओं ने हिस्सा लिया था. 13 दिन तक चले 1971 के युद्ध का अंत पाकिस्तानी सेना के सरेंडर और बांग्लादेश के निर्माण से हुआ.
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वहीं ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को खत्म करना था. इसके लिए भारत ने 6 और 7 मई की दरमियानी रात को पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए टारगेटेड स्ट्राइक किया. ये स्ट्राइक 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, इस हमले में आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी. भारत ने साफ किया कि ये आतंकवाद के खिलाफ उसका निर्णायक कदम है.
जहां, 1971 की जंग में भारत का लक्ष्य पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पाकिस्तान की तरफ से किए जा रहे अत्याचार से मुक्त कराना था. जो कि युद्ध के अंत में हुआ. पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश एक अलग देश बना. वहीं, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत का मकसद आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त करना था. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने कई आतंकियों को भी मार गिराया, इनमें से दो UN की टेररिस्ट लिस्ट में शामिल हैं, वहीं 8 भारत की मोस्ट वॉन्टेंड लिस्ट में शामिल थे.
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क्यों ऑपरेशन सिंदूर और 1971 की जंग की तुलना नहीं की जा सकती, ऐसे समझें