Maharashtra Politics: अपने भतीजे अजित पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का चुनाव चिह्न मिल जाने के बाद अचानक राजनीतिक रूप से कमजोर हो गए शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा खेल करने जा रहे हैं. ZEE News की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले दावा किया गया है कि एकसमय कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे शरद पवार अपनी पुरानी पार्टी में वापसी करने जा रहे हैं. इसके लिए वे NCP के अपने हिस्से वाले गुट का विलय कांग्रेस में करने की तैयारी में है. इस पर अंतिम फैसला लेने के लिए शरद पवार ने पुणे में अपने विधायकों और सांसदों की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है.
पार्टी सिंबल छिनने के बाद राजनीतिक करियर था दांव पर
शरद पवार के लिए पिछले कुछ महीने बेहद मुश्किल भरे रहे हैं. भारतीय राजनीति के 'चाणक्य' कहे जाने वाले इस मराठा दिग्गज को उनसे ही राजनीतिक दांव-पेंच सीखने वाले भतीजे अजित पवार ने पटखनी दे दी है. अजित पवार ने पहले NCP में दो फाड़ की और अपने गुट के साथ भाजपा से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन गए. इसके बाद फरवरी की शुरुआत में उन्होंने पार्टी सिंबल पर भी हक हासिल कर लिया. इसके साथ ही शरद पवार के लिए राजनीतिक भविष्य दांव पर लग जाने की चर्चा शुरू हो गई थी. माना जा रहा है कि अचानक 'अपनों' के इस वार से कमजोर हुए शरद पवार ने इसी कारण कांग्रेस में वापसी की तैयारी की है. हालांकि अभी तक शरद पवार ने इस खबर की पुष्टि नहीं की है.
पहली बार 'खेला' करके बने थे महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री
1 मई 1960 को राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले शरद पवार को हमेशा 'आपदा को अवसर' में बदलने वाला चमत्कारी नेता माना गया है. उन्होंने सबसे पहली बार महाराष्ट्र की राजनीति में 'खेला' तब किया था, जब आपातकाल के बाद कांग्रेस में हुई दो फाड़ में वे 'रेड्डी कांग्रेस' का दामन थामकर जुलाई 1978 में महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए थे. इसके बाद से वे लगातार महाराष्ट्र की राजनीति की अहम धुरी बने रहे हैं. शरद पवार तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने रेड्डी कांग्रेस छोड़कर 1986 में कांग्रेस में वापसी की और 1988 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए. साल 1993 में वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.
1996 से केंद्रीय राजनीति में दिखाया है दबदबा
शरद पवार ने 1996 में महाराष्ट्र के साथ ही केंद्रीय राजनीति में भी हस्तक्षेप करना शुरू किया. पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के बाद एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की संयुक्त मोर्चे वाली सरकारों को कांग्रेस के समर्थन से गठित कराने में शरद पवार की 'चाणक्य नीति' और लालू प्रसाद यादव के 'जोड़-तोड़' का अहम रोल माना जाता रहा है. दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए शरद पवार क्रिकेट की राजनीति में भी अहम किरदार रह चुके हैं. वे लंबे समय तक BCCI और ICC के अध्यक्ष रहे हैं.
भाजपा-शिवसेना का लंबा रिश्ता तोड़ा था
शरद पवार को ही महाराष्ट्र में पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से चल रहा भाजपा और शिवसेना का नाता तोड़ने की पटकथा लिखने वाला माना जाता है. उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने के बाद जब NDA गठबंधन और भाजपा से नाता तोड़कर NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) बनाया था तो इसे शरद पवार ने ही संभव बनाया था. इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे के अलग होने पर भाजपा ने अजित पवार को तोड़कर देवेंद्र फडणवीस की सरकार गठित कराई थी तो भगवा दल के इस दांव को फेल करने का श्रेय भी अजित पवार को वापस बुलाकर शरद पवार ने ही हासिल किया था.
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