डीएनए हिंदी: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बाल हत्याकांड की दोषी बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गवित की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है. उनकी फांसी की सजा पर दया याचिका दिए हुए सात साल का समय बीत चुका था. इस देरी को देखते हुए कोर्ट ने ये फैसला लिया है.
बच्चों की किडनैपिंग और हत्या को अंजाम दे चुकी दो बहनों यानी रेणुका शिंदे और सीमा गवित की फांसी की सजा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया है. अदालत ने मृत्युदंड की सजा में हुई देरी को इसका आधार बनाया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियो के गुनाह माफी के लायक नहीं, लेकिन प्रशासन की तरफ से की गई देरी को नकारा नही जा सकता है. यह दोनों देश की पहली ऐसी महिलाएं थीं, जिन्हें फांसी की सजा मिली है. दोनों बहनों पर आरोप है कि इन्होंने जून, 1990 से अक्टूबर, 1996 तक 6 साल में दर्जनभर बच्चों के अपहरण और हत्याएं कीं.
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इन दोनों के साथ इनकी मां भी अपराध में शामिल थी. मां की जेल में ही मौत हो गई. इन बहनों और मां पर आरोप था कि ये मासूम बच्चों की किडनैपिंग कर उनसे भीख मंगवाती हैं. जब बच्चे थोड़े बड़े होते तो उनकी हत्या कर देती थीं. दोनों बहनों को साल 2001 में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.
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दिसंबर, 1997 में अंजनीबाई की गिरफ्तारी के एक साल बाद ही जेल में मौत हो गई थी. 2004 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यही सजा बरकरार रखी थी. इन दोनों बहनो को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाई गई थी. दोनों ने राष्ट्रपति को दया याचिका डाली थी. राष्ट्रपति ने भी दोनों बहनों की दया याचिका सन् 2014 में खारिज कर दी थी.
रिपोर्ट- मेघा कुचिक
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