डीएनए हिंदी: ओल्ड एज पर्सन ऑफ इंडिया के ताजा अध्ययन के मुताबिक भारतीयों की जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी में लगातार इजाफा हो रहा है. दिलचस्प बात यह है कि महिलाअें की औसत उम्र में बढ़ी है और वे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जीने लगी हैं. वर्ष 2011 में महिलाओं की औसत उम्र 69.4 साल थी जो 2061 में बढ़कर 79.7 वर्ष हो जाएगी. वहीं पुरुषों में 2011 में औसत आयु 66 वर्ष थी जो 2061 में बढ़कर यह 76.1 वर्ष हो जाएगी. भारत में 60 वर्ष से ज्यादा की उम्र वाले बुजुर्गों की संख्या 104 मिलियन के करीब है. इस आबादी में 53 मिलियन महिलाएं जबकि 51 फीसदी पुरुष हैं. युनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड और हेल्पऐज इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि 2026 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 173 मिलियन तक पहुंच जाएगी.
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा स्वस्थ
पुरानी और नई जनगणना के बीच सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के ओल्ड एज पर्सन ऑफ इंडिया के ताजे अध्ययन में यह पाया गया कि महिलाओं की जीवनशैली पुरुषों के मुकाबले कहीं बेहतर है. यही वजह है कि ज्यादातर बुजुर्ग महिलाओं का स्वास्थ्य पुरुषों से बेहतर पाया गया. इस अध्ययन में यह पाया गया कि महिलाओं को दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, न्यूरोलॉजिकल आदि बीमारियां पुरुषों की तुलना में कम होती हैं.
स्त्रियों की ज्यादा जीने की ये हैं वजहें
ह्यूमन मॉर्टेलिटी इंडेक्स के पास इस समय 40 देशों के जीन्स से जुड़े आंकड़े मौजूद हैं. इनमें स्वीडन और फ्रांस जैसे देशों के 1751 और 1816 के आंकड़े शामिल हैं लेकिन रूस और जापान जैसे देशों के आंकड़े सिर्फ 20वीं शताब्दी के उपलब्ध हैं. इस डेटाबेस में हर साल महिलाओं की औसत उम्र के सामने पुरुष पिछड़ते देख रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पुरुष अपने जीन आधारित ढांचे की वजह से कम उम्र का शिकार होते हैं. वहीं यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डेविड जेम्स कहते हैं कि पुरुषों के भ्रूणों की मृत्यु दर महिला भ्रूणों की अपेक्षा ज़्यादा है. एक्सटर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले लोर्ना हैरिस कहती हैं कि देरी से प्रेग्नेंसी के मामलों में लड़कों के मरने की संभावना लड़कियों की अपेक्षा 20 से 30 फीसदी ज़्यादा होती है.
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