अक्सर कई बार लोगों को अचानक से किसी घटना या किसी स्थान को देखकर लगता है कि यह घटना उनके सामने पहले भी हो चुकी है या फिर वह इस स्थान पर पहले भी आ चुके हैं. अगर आप भी ऐसा महसूस करते हैं तो आप अकेले नहीं हैं. दरअसल, इस स्थिति को 'देजा वू' (Deja Vu) कहा जाता है, यह एक फ्रेंच (French) शब्द है और इसका मतलब होता है 'पहले से देखा हुआ'. 

आमतौर पर जब किसी के साथ (What Is Deja Vu) ऐसी घटना होती है तो वह इसे पिछले जन्म से जोड़कर देखते हैं, ऐसे में लोगों को लगता है कि शायद ये घटना उनके साथ पिछले जन्म में हो चुकी हो. आइए जानते हैं क्या है 'देजा वू' और इसके पीछे की  (Deja Vu Theory) वजह क्या है...

क्या है देजा वू  (What Is Deja Vu In Hindi)

दरअसल, इस स्थिति में व्यक्ति को लगता है कि ये एक्सपीरियंस या ये घटना उनके साथ पहले भी हो चुकी है या जिस स्थान पर वो हैं वहां पहले भी आ चुके हैं. यह एक स्ट्रांग फीलिंग है और ऐसा बहुत ही थोड़े ही समय के लिए महसूस होता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि 8-10 साल की उम्र में ऐसा महसूस होता है और 20 से 25 साल की उम्र में ये पीक पर होता है. हालांकि असल में आपके साथ ऐसा नहीं हुआ है, न ही इसकी कोई याद है और ये केवल फीलिंग के लेवल पर महसूस होता है. 


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 क्या है इसके पीछे की वजह (Deja Vu Theory)

देजा वू के पीछे कई थ्योरी हैं. लेकिन, अब तक इसका सीधा जवाब कोई तलाश नहीं पाया है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ थ्योरी के बारे में... 
  
मेमोरी थ्योरी (Memory Theory)

इस थ्योरी के मुताबिक दिमाग शार्ट टर्म मेमोरी मतलब यादों को एक अलग हिस्से में और जो चीज़ें हम वर्तमान में देखते हैं उसे  अलग हिस्से में स्टोर करता है. यानी जो पहले हो चुका है उसका डेटा कहीं और सेव है. ऐसे में जब इसमें थोड़ी गड़बड़ी हो जाती है तो शार्ट टर्म मेमोरी, लॉन्ग टर्म मेमोरी से टकराने लगती है.

ड्रीम थ्योरी (Dreams Theory)

इस थ्योरी के मुताबिक हम जो सपने में देखते हैं, उसे हमारा दिमाग असली मेमोरी की तरह सेव कर लेता है और ऐसा बचपन में ज़्यादा होता है.  अक्सर बच्चे कुछ काल्पनिक घटना को खुद के साथ घटित होने की बात कहते हैं, जिसे लोग सपना होगा.. बोलकर टाल देते हैं. क्योंकि ऐसा लगता है कि सपने में दिखी चीज़ हमारे साथ असली में हुई है. 

3D होलोग्राम थ्योरी (3D Hologram Theory)

इस थ्योरी के मुताबिक दिमाग में हमारी यादें 3D होलोग्राम की तरह सेव होती हैं और अगर कोई वस्तु, स्थान, व्यक्ति, म्यूजिक, वीडियो या कोई भी चीज़ उस घटना की याद दिलाते हुए आपस में टकरा जाती है, तो व्यक्ति को लगता है कि कि यह घटना पहले भी हो चुकि है. 


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मैट्रिक्स थ्योरी (Matrix Theory)
 
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम असल ब्रम्हांड में नहीं जीते हैं, हम कम्प्यूटर से जुड़े एक ब्रम्हांड में रहते हैं और ये दुनिया, पानी, पेड़, समुद्र, जीव सबकुछ एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है. ऐसे में जब उन प्रोग्राम में ग्लिच होता है मतलब कोई खराबी आती है तो हमें ऐसा लगता है कि ये पहले भी हमारे साथ हो चुका है. हालांकि ज्यादातर लोग इस थ्योरी को थ्योरी कम मैट्रिक्स फिल्म की स्क्रिप्ट ज्यादा समझते हैं. 

नोट: देजा वू एक सामान्य स्थिति है और ये किसी मनोवैज्ञानिक बीमरी का संकेत नहीं है. हालांकि जब कोई स्ट्रेस में होता है तो Deja Vu होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और इस स्थिति में ऐसा बार-बार महसूस हो सकता है. 

 Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.

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Deja Vu क्या है? जानें क्यों होता है इसका अनुभव और क्या है कारण
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