डीएनए हिंदीः कभी वर्कआउट करते समय तो कभी चलते-फिरते भी हमें चोट लग जाती है. वहीं कई बार साइज के जूते न होन से भी पैरों में दर्द होने लगता है. यह समय सामान्य बात है लेकिन इसे सामान्य समझ कर इग्नोर करना गंभीर होता है. 

किसी भी तरह की चोट को इग्नोर करना आपको स्ट्रेस फै्रेक्चर का शिकार बना सकता है और अंत में आपको चलने-फिरने या खड़े होने के लिए किसी सहारे की जरूर पड़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि आप स्ट्रेस फ्रेक्चर के बारे में जानें. कब, क्यों और कैसे ये होता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं. 

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हाथ पैरों में कभी कुछ उठाते हुए या हिलाते हुए दर्द सा होता है. कई बार समझ नहीं आता लेकिन शरीर में जोड़ों में या पैरों-हाथ और कंधे में किसी तरह की चोट लग जाती है या हड्डी में स्प्रेन आ जाता. ऐसे दर्द की वजह अगर पता हो तो बहुत अच्छा और अगर दर्द का कारण समझ न आएं तो भी अपने शरीर में होने वाले इस दर्द को इग्नोर न करें क्योंकि ये दर्द ही आगे चलकर स्ट्रेस फ्रेक्चर में बदलता है. 

क्या है स्ट्रेस फ्रेक्चर
स्ट्रेस फ्रैक्चर हड्डी में एक बहुत ही महीन और नन्ही सी क्रैक को कहते हैं. अमूमन ये तब होती है जब बार-बार हड्डी पर स्ट्रेस पड़ता है. आमतौर पर ये जिम जाने वाले, रनिंग या वेट लिफ्टिंग  करने वालों या एथलीट्स में नजर आती है. स्ट्रेस फ्रैक्चर पिंडली की हड्डी, पैर, एड़ी, कूल्हे और पीठ या कंधे पर ज्यादा होता है. 

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क्यों हो जाता है स्ट्रेस फ्रेक्चर
यानी जब आप चोट को नजरअंदाज कर अपने शरीर को आराम देने की जगह उसपर और दबाव डालते हैं तब ये समस्या होती है. इसके अलावा ये भी कारण होते हैं,

  • चोट के बावजूद डांस करना
  • विटामिन डी और कैल्शियम का बेहद कम होना
  • चोट के बावजूद जिम एक्सरसाइज़ करना
  • गलत स्पोर्ट्स ट्रानिंग लेना
  • चोट लागने के बाद आराम न करना
  • ढलान वाली सतह या सड़क पर दौड़ना
  • सही पोषण न लेना या खराब डाइट
  • सही जूते का प्रयोग न करना

ये कारण भी होते हैं जिम्मेदार
अगर आपकी उम्र ज्यादा है और हड्डियां कमजोर हों.

कम या हाई बीएमआई या कम वजन वाले लोगों में भी यह समस्या होती है. 
अनियमित मासिक धर्म या मेनोपॉज के दौरान स्ट्रेस फ्रेक्चर का जोखिम बढ़ता है.
ऑस्टियोपोरोसिस या अन्य हड्डियों से जुड़ी बीमारी या लो बोन डेंसिटी की समस्या हो. 

स्ट्रेस फ्रेक्चर से कैसे बचें
एक बार जब आपको दर्द महसूस हो तो अपनी बॉडी को रेस्ट दें और एक्सरसाइज रोक दें दर्द खत्म होने पर ही वापस एक्सरसाइज करें.
चिकित्सक से परामर्श करें और इलाज कराएं. 
सही साइज के शूज चुनें रनिंग शूज़ को हर 300 मील पर बदल दें. 
वेट या एक्सरसाइज हमेशा एक्सपर्ट की देखरेख में करें.
अचानक से बहुत अधिक भार या एक्सरसाइज न करें. 
नई खेल गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू करें और धीरे-धीरे समय, गति और दूरी बढ़ाएं.
मांसपेशियों की थकान को समझें और एक दिन रोक कर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें. 

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ये भी होती है वजह

  • उम्र बढ़ने के साथ आने वाली हड्डियों के घनत्व के नुकसान को रोकने में मदद करें.
  • कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर स्वस्थ आहार लें जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखेगा.
  • यदि आपको ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस है तो अपने डॉक्टर से सलाह कर ही एक्सरसाइज करें. 
  • यदि दर्द या सूजन वापस आती है तो कोई भी एक्टिविटी बंद कर दें और कुछ दिनों के लिए आराम करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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Stress Fracture in body is serious zym mindless cause of handicap and sever injury cricketer Bumrah
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स्ट्रेस फ्रेक्चर बना सकता है अपाहिज, जानिए इसके जोखिम और कारण
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स्ट्रेस फ्रेक्चर बना सकता है अपाहिज, इस बीमारी के कारण ही क्रिकेटर बुमराह खेल हैं बाहर
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स्ट्रेस फ्रेक्चर बना सकता है अपाहिज, इस बीमारी के कारण ही क्रिकेटर बुमराह खेल हैं बाहर

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स्ट्रेस फ्रेक्चर बना सकता है अपाहिज, क्रिकेटर बुमराह भी झेल रहे ये दर्द