डीएनए हिंदी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया से पार पाने के लिए मॉसक्विरिक्स (Mosquirix) वैक्सीन को अनुमति दे दी है. मलेरिया से निजात पाने के लिए 80 सालों से वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे थे. मलेरिया एक घातक बीमारी है और दुनिया में हर दूसरे मिनट एक बच्चे की जान चली जाती है. ऐसे में इस वैक्सीन की ईजाद से भारत समेत कम से कम 100 देशों को मलेरिया से पार पाने में आसानी होगी. वैज्ञानिको का दावा है कि ये वैक्सीन लगने के बाद मलेरिया से लड़ने की क्षमता करीब 77 प्रतिशत है. इसका सर्वाधिक लाभ अफ्रीकी देशों को मिलेगा क्योंकि इससे सबसे ज्यादा मौतें वहीं होती हैं. मच्छरों की 460 प्रजातियों में से करीब 100 ऐसी हैं जिनके काटने से मलेरिया हो सकता है.
इस कंपनी को वैक्सीन बनाने का आया था आइडिया
मॉसक्विरिक्स को बनाने का विचार 1980 के दशक में बेल्जियम स्थित स्मिथक्लाइन बीचम कंपनी के बायोलॉजिस्ट्स को आया था. मॉसक्विरिक्स का वैज्ञानिक नाम रीकॉम्बीनेंट प्रोटीन बेस्ड मलेरिया वैक्सीन है. इस वैक्सीन के लगने के बाद आपके शरीर में मलेरिया संक्रमण करने वाले पैरासाइट प्लाजमोडियम फाल्सीपैरम का असर बेहद कम हो जाएगा. वैज्ञानिकों का कहना की मलेरिया से इसकी लड़ने की क्षमता करीब 77 फीसदी है. इसकी चार खुराकें लेनी होगी और इससे मिलने वाली सुरक्षा कुछ ही महीनों में खत्म हो जाएगी.
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर ने खुद के बारे में बताई खास बात
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि मैंने अपने करियर की शुरुआत मलेरिया रिसर्चर के तौर पर की थी और मैं इस दिन का इंतजार कर रहा था कि जब हमारे पास पुरानी और भयानक बीमारी के लिए असरदार वैक्सीन होगी. वह दिन आ गया है और यह एक ऐतिहासिक दिन भी है.
क्यों होता है मलेरिया?
मलेरिया आमतौर पर संक्रमित मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से फैलता है. इस मच्छर के काटने से परजीवी आपके रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है और लाल कोशिकाओं को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं. मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से लेकर चार सप्ताह के दौरान दिखाई देते हैं. कई बार इसके लक्षण कई महीनों बाद तक विकसित नहीं होते. कुछ मलेरिया परजीवी शरीर में दाखिल होकर लंबे समय तक विकसित नहीं होते. इसका इलाज 24 घंटों के भीतर शुरू नहीं जाए तो यह प्लासमोडियम फाल्सीपेरम गंभीर मलेरिया का रूप ले लेती है जो अक्सर मौत का कारण भी बन सकती है. ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश राज्यों में वर्ष 2019 में लगभग 45.47% मलेरिया के मामले दर्ज किए किए गए हैं. इन राज्यों में मलेरिया से 63.64% मौतें भी हुईं.
मलेरिया के लक्षण और एहतियात
मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार, पसीना आना, जी मचलना, उल्टी, शरीर में ऐंठन, पेट में दर्द और दस्त आदि हैं. इससे प्रभावित व्यक्ति में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और वह एनीमिक हो जाता है. घर के आसपास साफ—सफाई का खूब ख्याल रखना चाहिए. मलेरिया के मच्छर आमतौर पर रात में ही ज्यादा काटते हैं इसलिए सोते वक्त मच्छरदानी या एंटी मॉस्क्वीटो क्रीम का उपयोग करना चाहिए. ये मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं इसलिए मलेरिया से बचने के लिए अपने घर के आसपास पानी जमा नहीं होने देना चाहिए.
केंद्र सरकार ने चलाए ये कार्यक्रम...
भारत में मलेरिया उन्मूलन को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाए गए हैं. भारत सरकार ने 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) शुरू किया जोकि घरों के भीतर डीडीटी का छिड़काव करने पर केन्द्रित था. इस कार्यक्रम से सफलता मिलने के बाद पांच साल बाद यानि 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एनएमईपी) शुरू किया गया. 2015 में भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयास शुरू किए गए. वर्ष 2016 में स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इस दिशा में काफी सफलता मिली.
मलेरिया के मामलों में 24 फीसदी की कमी
मलेरिया प्रभावित देशों में भारत समेत उप सहारा अफ्रीका के 15 देशों की हिस्सेदारी 80 फीसदी है. 2017 में मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित शीर्ष दस अफ्रीकी देशों में नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और मेडागास्कर जैसे देशों में तकरीबन 35 लाख मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 की तुलना में 2017 में मलेरिया के तकरीबन 24 फीसदी मामलों में कमी आई है. उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल मलेरिया से ज्यादा प्रभावित राज्य हैं.
- Log in to post comments