डीएनए हिंदीः  जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोधकर्ताओं ने मलेरिया की दवा के प्रतिरोधी स्ट्रेन (Drug-Resistant Strains of Malaria) से निपटने में सफलता हासिल की है. शोधकर्ताओं ने एंटी-हेपेटाइटिस सी दवा अलीस्पोरिविर (Anti-Hepatitis C Drug Alisporivir) को मलेरिया से बचाव के लिए विकसित किया है. अनुसंधान वेक्टर-जनित संक्रमण (Vector-Borne Infection.) के खिलाफ बेहतर इलाज का तरीका  विकसित किया है.

बता दें कि मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है और ये मच्छरों से होने वाली सबसे आम लेकिन गंभीर बीमारी है. मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम की कई प्रजातियां हैं. हालांकि उनमें से केवल पांच ही इंसानों को संक्रमित करते हैं. इनमें प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लास्मोडियम विवैक्स, प्लास्मोडियम ओवाले, प्लास्मोडियम मलेरिया और प्लास्मोडियम नोलेसी शामिल हैं.

जेएनयू के स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एलिसपोरिविर पर काम किया जो साइक्लोस्पोरिन ए का एक गैर-प्रतिरक्षादमनकारी एनालॉग है जो अंग प्रत्यारोपण के लिए इम्यूनोसप्रेसिव एजेंट है. शोधकर्ताओं ने मलेरिया के दवा प्रतिरोधी उपभेदों से लड़ने के लिए दवा का पुन: उपयोग किया और बेहतर रिजल्ट पाया है, 

डॉ. आनंद रंगनाथन के नेतृत्व वाली टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एलिसपोरिविर ने क्लोरोक्वीन-प्रतिरोधी और आर्टेमिसिनिन-प्रतिरोधी परजीवी के खिलाफ शक्तिशाली मलेरिया-रोधी गतिविधि दिखाई है. इसलिए आर्टीमिसिनिन के साथ संयोजन में इसका उपयोग किया जा सकता है.यह अध्ययन जर्नल एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स एंड कीमोथेरेपी में प्रकाशित हुआ है.

उन्होंने पाया कि एलिसपोरिविर ने मलेरिया-रोधी गतिविधि का प्रदर्शन किया और मलेरिया के खिलाफ तर्कसंगत लक्ष्य-आधारित पुन: प्रयोजन के साथ यह प्रभावी हो सकता है. अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर शैलजा सिंह ने कहा कि यह वास्तव में खुशी की बात है कि मलेरिया के खिलाफ जीवन बचाने के लिए हमारा शोध उपयोगी साबित होगा.

वेक्टर जनित बीमारियों से लड़ने के लिए क्षेत्र में किए जा रहे शोध के वैश्विक पूल में भारत का शोध शामिल है. अफ्रीका में अनुसंधान ने हाल ही में एक प्रयोगात्मक दवा की एक बार की खुराक को कम से कम छह महीने के लिए मलेरिया के खिलाफ संरक्षित वयस्कों में पाया था.

मलेरिया ने 2020 में 6,20,000 से अधिक लोगों की जान ले ली और 241 मिलियन लोगों को बीमार कर दिया था जिसमें मुख्य रूप से अफ्रीका में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन बच्चों के लिए पहला अधिकृत मलेरिया टीका शुरू कर रहा है, लेकिन यह लगभग 30% प्रभावी है और इसके लिए चार खुराक की आवश्यकता होती है.

डब्ल्यूएचओ ने 2021 में मलेरिया के खिलाफ दुनिया के पहले टीके मॉस्क्युरिक्स की सिफारिश की थी, जो सबसे घातक मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ काम करता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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JNU researchers find new way to deal with malaria, anti-hepatitis drug reduce Disease
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जेएनयू के शोधकर्ताओं ने मलेरिया से निपटने का खोजा नया तरीका
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जेएनयू के शोधकर्ताओं ने मलेरिया से निपटने का खोजा नया तरीका

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जेएनयू के शोधकर्ताओं ने मलेरिया से निपटने का खोजा नया तरीका, एंटी-हेपेटाइटिस दवा आएगी काम