डीएनए हिंदी: यूके में कैंसर के एक क्लिनिकल ट्राइल में भारतीय मूल की महिला ने कैंसर को दोबारा मात देकर एक मिसाल कायम की है. केरल में जन्मीं 51 वर्षीय जैस्मिन डेविड के पास जिंदगी के बस एक साल ही थे, तभी एक चमत्कार हो गया.उन्होंने कैंसर को दोबारा मात देकर जिंदगी को गले लगाया.

क्या था पूरा मामला

डेविड ब्रिटेन के मैनचेस्टर के फैलोफील्ड से संबंधित एक भारतीय मूल की महिला हैं, जिन्हें पहली बार नवंबर 2017 में ब्रिटेन के मैनचेस्टर में एक केयर होम में क्लिनिकल लीड के रूप में काम करते हुए ट्रिपल नेगेटिव स्तन कैंसर (Breast Cancer) का पता चला था. छह महीने की कीमोथेरेपी, मास्टेक्टॉमी और रेडियोथेरेपी के बाद उन्हें कैंसर मुक्त घोषित कर दिया गया था लेकिन 17 महीने बाद उन्हें फिर से गंभीर खांसी और सीने में दर्द की शिकायत हुई और दोबारा से परीक्षण करवाने पर कैंसर का पता चला.  

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डॉक्टरों ने उन्हें जीने के लिए सिर्फ 10 महीने दिए लेकिन उनके पति ने उन्हें छोड़ा नहीं और अंत तक लड़ते रहे. तभी यूके में नेशनल हेल्थ सर्विसेज के तहत ड्रग ट्रायल (नैदानिक ​​​​परीक्षण) चल रहा था. डेविड ने अपनी मर्जी ने इस ट्राइल में भाग लिया और ये सोचा कि वे अपने अंतिम दिनों में लोगों की मदद कर पाएंगी, इसी दौरान उनका कैंसर ठीक हो गया.

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नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च (NIHR) और मैनचेस्टर क्लिनिकल रिसर्च फैसिलिटी (CRF) ने संयुक्त रूप से एक ट्राइल किया,इस ट्राइल के दौरान उन्हें एक प्रायोगिक दवा एंटीबॉडी ट्रीटमेंट के साथ एटेज़ोलिज़ुमाब दी गई, जिसके बाद वे पूरी तरह से ठीक हो गईं.यह एक मामला नहीं है उसके बाद यूके में ऐसे कई मामले सामने आए, जिनका कैंसर ट्राइल के दौरान ठीक हो गया

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Indian based women beat breast cancer in UK clinical trial
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Cancer Success Story: भारत की इस महिला ने यूके में दोबारा कैंसर को दी मात, जानिए
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Cancer Success Story: भारत की इस महिला ने यूके में दोबारा कैंसर को दी मात, जानिए कैसे ?