डीएनए हिंदीः डायबिटीज (Diabetes) कई बीमारियों की जड़ होती है और एक बार ये हो जाए तो इससे जुड़ी बीमारियां भी धीरे-धीरे शरीर में घर करने लगती हैं. कई बार पता भी नहीं चलता है शरीर के कुछ अंग ब्लड में ग्लूकोज ( Blood Gglucose) बढ़ने के कारण डैमेज हो रहे हैं.
डायबिटीज अगर हाई रहे तो आंख (Eyesite) से लेकर किडनी और लिवर (Kidney and Liver) और यूरिक एसिड (Uric Acid) बढ़ने तक का खतरा रहता है. इसलिए जरूरी है कि आपका अगर ब्लड शुगर हाई रहे तो आप केवल शुगर चेकअप ही नहीं, 11 तरह के और जांच जरूर करा लें. ये 11 टेस्ट क्या हैं, चलिए जानें.
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डायबिटीज के लक्षण पहचानें
यदि आपको बार बार प्यास लग रही और यूरिन पास करने आप दिन भर में पांच बार से ज्यादा जा रहे तो आपको शुगर की जांच करानी चाहिए. अगर आपको भूख कंट्रोल नहीं हो रहीं, कोई घाव जल्दी नहीं भर रहा, मुंह से फल जैसी महंक, मसूड़ों से खून, पैरों में फंगल इंपफेक्शन, वेट का तेजी से कम होना, बहुत ज्यादा थकान, हाथों या पैरों में झुनझुनी, सनसनी महसूस हो तो आप सतर्क हो जाएं. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार हर डायबिटीज के मरीज को तीन से छह महीने में कुछ जांच जरूर कराते रहना चाहिए.
एचबीएसी
यह रक्त परीक्षण आपके सामान्य ग्लूकोज स्तर को कुछ महीनों तक दिखाता है. यह हीमोग्लोबिन से जुड़े ग्लूकोज की दर और लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन की मात्रा निर्धारित करता है. ग्लूकोज का स्तर जितना अधिक होता है, उतने ही अधिक हीमोग्लोबिन के साथ चीनी जुड़ी होती है. दो अलग.अलग परीक्षणों में 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक स्तर दर्शाता बता देगा कि आपके ब्लड में इंसुलिन का स्तर सही नहीं और शुगर को कंट्रोल की जरूरत है. 5.7 और 6.4 प्रतिशत के आसपास प्री-डायबिटीज का लक्षण है.
फास्टिंग टेस्ट
इस परीक्षण में रात भर उपवास करने के बाद आपके रक्त का नमूना अगले दिन सुबह खाली पेट लिया जाता है. 100 से कम का फास्टिंग ब्लड शुगर सामान्य है लेकिन ये 100 से 125 मिलीग्राम/डीएल का स्तर को प्रीडायबिटीज माना जाता है. यदि दो अलग-अलग परीक्षणों में यह 126 126 mg/dL या इससे अधिक हैए तो आपको मधुमेह है.
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कंप्लीट ब्लड कांउंट (सीबीसी):
यह एक रक्त परीक्षण है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने और एनीमिया से लेकर ल्यूकेमिया तक के विकारों की एक विस्तृत श्रृंखला की खोज करने के लिए किया जाता है. इसे ब्लड शुगर में भी जरुर कराना चाहिए. सीबीसी परीक्षण किसी के रक्त के कई घटकों और विशेषताओं को मापता है, जिसमें आम तौर पर ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं, हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में प्रोटीन जो ऑक्सीजन ले जाती है, हेमटोक्रिट, एक व्यक्ति के रक्त में प्लाज्मा का अनुपात और प्लेटलेट्स, जो खून के थक्के जमने में मदद करते है, उनके बारे में पता चलता है.
पोस्ट प्रांडियल ग्लूकोज टेस्ट (पीपीबीएस):
यह एक रक्त ग्लूकोज परीक्षण है जो एक विशेष प्रकार के शुगर का माप तय करता है, जिसे ग्लूकोज कहा जाता है. इस परीक्षण में विशेष रूप से भोजन के बाद रक्त में ग्लूकोज को मापा जाता है.आमतौर पर खाना खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज का स्तर थोड़ा बढ़ जाता है. यह विस्तार अग्न्याशय को इंसुलिन का निर्वहन करने का कारण बनता है, जो शरीर को रक्त से ग्लूकोज को बाहर निकालने और शरीर को महत्वपूर्ण ऊर्जा प्रदान करने के लिए संग्रहीत करने में मदद करता है. मधुमेह वाले व्यक्ति इंसुलिन का निर्माण या उसके लिए वैध रूप से प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं, जिससे उनके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है. उच्च रक्त शर्करा का स्तर आंखों, गुर्दे, नसों और नसों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है.2 घंटे का पीपीबीएस परीक्षण भोजन खाने के ठीक 2 घंटे बाद रक्त शर्करा को मापता है. तब तक स्वस्थ लोगों में ग्लूकोज कम हो गया होता है, लेकिन डायबिटीज वाले व्यक्तियों में यह बढ़ जाता है.
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट
डायबिटीज, हृदय रोग के जोखिम को काफी बढ़ा देता है, जिससे उनके लिए अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की अधिक बार जांच करने के लिए रक्त परीक्षण करना अनिवार्य हो जाता है.
ट्राइग्लिसराइड्स
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का वसा होता है जो आमतौर पर रक्त में पाया जाता है. जब ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में वृद्धि होती है, तो इससे कोरोनरी धमनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. एक व्यक्ति के ट्राइग्लिसराइड के स्तर को रक्त परीक्षण के साथ रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर के परीक्षण के साथ मापा जाता है. सामान्य ट्राइग्लिसराइड्स 150 से नीचे होते हैं। 200 से ऊपर के स्तर उच्च होते हैं.
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क्रिएटिनिन रक्त परीक्षण
शुगर के मरीज में किडनी फेल्योर की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए किडनी की जांच के लिए क्रिएटिनिन रक्त परीक्षण जरूरी है. इससे पता चलता है कि रक्त में क्रिएटिनिन स्तर कितना है. क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट पदार्थ है जो क्रिएटिन के अलग होने पर बनता है. रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर बता देगा कि आपकी किडनी कैसा काम कर रही है.
इलेक्ट्रोलाइट्स
यह एक रक्त परीक्षण है जो शरीर में मुख्य इलेक्ट्रोलाइट्स को मापता है जिसमें सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और बाइकार्बोनेट शामिल हैं. इससे आपके ब्लड प्रेशर से लेकर हार्ट तक के बारे में जानकारी मिल सकती है. लो या हाई ब्लड प्रेशर से ही दिल और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. किडनी के डैमेज का भी
इंसुलिन ऑटो एंटीबॉडी
यह परीक्षण इंसुलिन को लक्षित करने वाले एंटीबॉडी का पता लगाता है. बीटा कोशिकाओं पर हमला करने के साथ-साथ टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली भी इंसुलिन को लक्षित करती है.
सी-पेप्टाइड
यह परीक्षण मापता है कि किसी व्यक्ति के रक्त में सी-पेप्टाइड कितना है. चूंकि इस पेप्टाइड का स्तर आम तौर पर शरीर में इंसुलिन के स्तर से मेल खाता है, इसलिए परीक्षण का उपयोग ज्यादातर यह इंगित करने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति का शरीर कितना इंसुलिन का उत्पादन कर रहा है. आम तौर पर सी-पेप्टाइड और इंसुलिन का निम्न स्तर आमतौर पर टाइप 1 मधुमेह की ओर इशारा करता है.
ग्लूकोमा टेस्ट
ग्लूकोमा बीमारी में आंख का प्रेशर काफी बढ़ जाता है, उसके कारण आंख की नसों पर प्रभाव पड़ने लगता है और सही समय पर इलाज ना किया जाए तो मरीज अंधा भी हो सकता है. हाई ब्लड शुगर के कारण आंखों की रेटिना पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. तो इसकी जांच हर छह महीने में जरूर करांए.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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Diabetes रोगी जरूर कराएं ये 11 टेस्ट, केवल ब्लड शुगर की जांच से नहीं चलेगा काम