डीएनए हिंदी: भारत में मंकीपॉक्स (First Monkeypox case in India) का पहला मामले सामने आने के बाद से हर कोई अलर्ट हो गया है. केरल में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला है जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों अलर्ट हो गई है. केंद्र सरकार ने अपनी स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां के लिए रवाना भी कर दी है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि इस बीमारी से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन इसके बारे में अभी ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया है. यह जानवरों से फैलने वाली एक बीमारी है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार मंकीपॉक्स गिलहरी, चूहों और कई तरह के बंदरों में पाया जाता है.
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क्या है मंकीपॉक्स (What is Monkeypox)
मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है. इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है.आपको बता दें कि वैरियोला वायरस से स्मॉल पॉक्स या छोटी चेचक बीमारी होती है. इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन में होता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं. स्मॉलपॉक्स या चेचक को टीके के जरिए दुनिया भर से 1980 में खत्म कर दिया गया था पर कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकीपॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं.
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कैसे करें बचाव (How to save yourself from Monkeypox)
मंकीपॉक्स वायरस से पीड़ित होने के कुछ दिनों बाद वैक्सीन (Vaccine) लगवा लेने पर इससे बचा जा सकता है
यह कोविड से कम संक्रामक वायरस है. इसलिए बहुत ज्यादा घबराने की आवश्यकता नहीं होती
यह बहुत जल्दी नहीं फैलता है, संक्रमित व्यक्ति से आवश्यक दूरी बनाए रखने पर संक्रमण से बचा जा सकता है
यह कम्यूनिटी स्प्रेड और यौन संबंध बनाने से ज्यादा फैलता है, ऐसे में इन चीजों का ध्यान रखा जा सकता है
चेचक का टीका लगे हुए लोगों को इसके संक्रमण का खतरा कम होता है
किसी को हग, किस और शारीरिक संपर्क में कम आएं
इसके अलावा तीन एंटीवायरल कंपाउंड ST-246, Cidofovir और CMX001 भी हैं, जिनकी जांच मंकीपॉक्स के इलाज के लिए की जा रही है. ये एंटीवायरल भी इस वायरस को मात दे सकते हैं.
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Monkeypox Prevention: अगर आपने लगाया है चेचक का टीका तो इस वायरस से न घबराएं, ये हैं बचाव के और तरीके