डीएनए हिंदी: तंदूरी व्यंजन एक पारंपरिक भारतीय खाना पकाने की शैली है जिसमें तंदूर में खाना पकाने से पहले उसे दही और मसालों के मिश्रण में मिलाया जाता है. यह अपने विशिष्ट स्वादों और तंदूर की गर्मी से मिलने वाले सिग्नेचर स्मोकी स्वाद के लिए जाना जाता है. जहां तंदूरी खाना लोकप्रिय है और व्यापक रूप से इसका आनंद लिया जाता है, वहीं स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में कई सवाल भी उठते हैं. क्या तंदूरी खाने का सेवन करना सही है. इसके कितने नुकसान सेहत पर पड़ेंगे, और कितना फायदा मिलेगा? आज डीएनए हिंदी के इस लेख में, हम तंदूरी भोजन से जुड़े सभी संभावित स्वास्थ्य लाभों और जोखिमों के बारे में आपको बताएंगे.
तंदूरी भोजन के स्वास्थ्य लाभ
तंदूरी भोजन अपनी अनूठी खाना पकाने की विधि और सामग्री के कारण कई स्वास्थ्यकारी लाभ प्रदान करने में मदद कर सकता है. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, तंदूर का उच्च तापमान खाने के न्यूट्रिशियन वेल्यू को बनाए रखते हुए, जल्दी खाना पकाने में मदद करता है. ये सब्जियों, मांस और समुद्री भोजन(sea food) में विटामिन और खनिजों को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे तंदूरी व्यंजन आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर बनते हैं. इसके अलावा, तंदूरी भोजन में इस्तेमाल किया जाने वाला अचार, आमतौर पर दही और मसालों से मिलकर कई हेल्थ बेनिफिट भी आपको प्रदान करता है. दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और पाचन क्रिया में सहायता करते हैं. तंदूरी मैरिनेड में इस्तेमाल होने वाले मसाले, जैसे हल्दी, अदरक और लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो संभावित रूप से इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ावा दे सकते हैं और पुरानी बीमारियों से बचा सकते हैं. चिकन या मछली जैसे लीन मीट से तैयार तंदूरी डिश बैड फैट की मात्रा कम हो जाती है. डीप फ्राइड या ज्यादा ऑयली खाने के विकल्पों की तुलना में, तंदूरी डिश उन लोगों के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकती हैं जो अपने कैलोरी कॉउंट पर हमेशा नजर बनाए रखते हैं साथ ही वेट मैनेजमेंट भी तंदूरी फूड उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके अलावा जिन लोगों को हृदय संबंघी समस्याएं हैं उन लोगों के लिए बिना तेल का ये तंदूरी खाना एक बेहतर फायदेमंद विकल्प हो सकता है.
तंदूरी खाने के संभावित स्वास्थ्य जोखिम
एक और जहां तंदूरी खाना कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है, इसके सेवन से जुड़े कुछ संभावित जोखिमों पर बात करना भी आवश्यक है. तंदूरी खाने में सबसे बड़ा चिंता का विषय है उच्च तापमान खाना पकाने की प्रक्रिया के दौरान हेट्रोसायक्लिक एमाइन (HCAs) का बनना. एचसीए ऐसे यौगिक होते हैं जो मांस के सीधे ज्यादा तापमान के संपर्क में आने पर बनता है. कुछ रिसर्च में HCAs को कैंसर बढ़ाने का कारण भी माना गया. हालांकि, यहां इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तंदूर में मांस पकाते समय मांस को अच्छे से मैरीनेट करके, खाना पकाने की सही तकनीकों को अपनाकर, और तंदूर के तापमान को कम करके हेट्रोसायक्लिक एमाइन (HCAs) के यौगिकों को बनने से रोका या कम किया जा सकता है.
तंदूरी खाने में दूसरा सबसे बड़ा खतरा है फूड कलर्स जो आजकल के रेस्तरां और होटल में किया जाता है. तंदूरी चिकन या अन्य तंदूरी खाने की डिश को अधिक लाल और विजुअल अपील को बढ़ावा देने के लिए लोग फूड कलर्स का उपयोग करते हैं. हालांकि सरकार ने इनके प्रयोग पर बैन लगा रखा है बावजूद उसके लोग इसके धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं जोकि आपकी सेहत के लिए हानिकारक है. इसके सेवन से एलर्जी और कई अन्य तरह की परेशानियां भी हो सकती है.
तंदूरी खाना खाएं या नहीं?
तंदूरी भोजन अपनी खाना पकाने की विधि, मैरिनेड सामग्री और लीन प्रोटीन की वजह से कई तरह के स्वास्थ्यकारी लाभ प्रदान करता है. यह एक खाने का पौष्टिक विकल्प है जो आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने और पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है. हालांकि कुछ जोखिम, जैसे खाना पकाने के दौरान हेट्रोसायक्लिक एमाइन (HCAs) के संभावित गठन या फूड कलर्स के उपयोग को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि लोगों को अपनी ओर खींचने के लिए तंदूरी खाने में फूड कलर्स का उपयोग ना किया जाए. साथ ही तंदूरी खाना बनाते समय तापमान को जरूरत से अधिक ना रखें. खाने को 2 बार में पकाएं मैरिनेड करने के बाद एक ही बार में पकाने की ना सोचें. चिकन या अन्य मांस को मैरिनेट करने के बाद 5-7 मिनट के लिए तंदूर में डालकर निकाल लें. इसके 10 मिनट बाद 2-3 मिनट के लिए डालें. ऐसा इसलिए लगातार लंबे समय तक तंदूर में पड़े खाने में कार्बन और हेट्रोसायक्लिक एमाइन (HCAs) के बनने की संभावना अधिक हो जाती है. आप चाहें तो कुछ सावधानियों को बरत कर अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए इसके तंदूरी खाने के स्वाद का आनंद ले सकते हैं.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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