डीएनए हिंदीः मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज है जिसमें अचानक से दिमाग में कुछ ऐसा होता है कि मरीज को बेहोशी के दौरे आते है और अनकॉन्शियसनेस के कारण कई बार आंतों या ब्लैडर पर नियंत्रण खत्म होता है. मिर्गी के दौरों एक या दो से ज्यादा बार दौरा न पड़ जाए.
मिर्गी (Epilepsy) केंद्रीय स्नायु तंत्र पर इफेक्ट डालती है और ये संक्रामक बीमारी नहीं होती है. इसमें केवल मरीज को दौरे पड़ते हैं और वह खुद को संभाल नहीं पाता है. इसमें पूरा शरीर या शरीर के एक आंशिक हिस्से में असामान्य गतिविधि हो सकती है और इसके साथ बेहोशी या फिर आंतों या ब्लैडर पर नियंत्रण खत्म हो सकता है. मिर्गी से हर आयु, नस्ल और जाति के लोग प्रभावित हो सकते हैं.
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मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण क्या हैं?
मिर्गी के दौरे बिना वजह के पड़ते हैं. ब्रेन ट्यूमर, संक्रमण, स्ट्रोक, मस्तिष्क में घाव या चोट, ऑटोइम्यून रोग, विकासात्मक विकृतियों, और अनुवांशिक प्रवृत्तियों जैसी विकृतियों के कारण भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है.
मिर्गी आने से पहले क्या होता है?
बरामदगी की गंभीरता हर इंसान में अलग तरह की हो सकती है. कुछ लोगों को बस कुछ सेकंड या मिनट के लिए-ट्रान्स जैसी स्थिति का अनुभव होता है, वहीं कुछ लोग बेहोश हो जाते हैं और ऐंठन (शरीर बेकाबू हो कर हिलने लगता है) होती है.
मिर्गी कितना खतरनाक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मिर्गी बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन शरीर के कई अंदरूनी रोग इसका कारण बन सकते हैं. पूरी दुनिया में तकरीबन 50 फीसद मामलों में मिर्गी के कारणों की पहचान नहीं हो पाई है. मिर्गी की बीमारी के चलते रोगियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
मिर्गी के दौरे पड़ने के लक्षण
- बार-बार दौरा पड़ना मिर्गी का मुख्य लक्षण है
- अस्थायी रूप से बेहोश हो जाना
- मांसपेशियों में मरोड़, आवाज कम हो जाना, पेशियों का अनियंत्रित रूप से काम करना
- अस्थायी रूप से भ्रम उत्पन्न होना, सोचने की शक्ति मंद हो जाना, संचार एवं समझने में दिक्कत होना
- संवेदनों में परिवर्तन
- सुन्न महसूस होना
- बोलने या समझने में दिक्कत होना
- दिल की धड़कन और श्वास की गति बढ़ जाना
- भय, चिंता या दहशत महसूस करना.
- हाथों व पैरों की गतिविधि में परिवर्तन
किस कमी से मिर्गी होती है?
दौरे का कारण या बिगड़ने के लिए जानी जाने वाली एकमात्र विटामिन की कमी विटामिन बी 6 (पाइरीडॉक्सिन) की कमी है. यह कमी मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और शिशुओं में होती है और दौरे का कारण बनती है जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है. कुछ मामलों में, डॉक्टर ईईजी रिकॉर्ड करते समय IV के माध्यम से बच्चे को विटामिन दे सकते हैं.
मिर्गी की सावधानियां क्या हैं?
मिर्गी का दौरान पड़ने पर झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं आना चाहिए. जिसे दौरे पड़ते हैं, उसे विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है. गाड़ी नहीं चलाना चाहिए, ऊंचाई वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए और जहां अधिक पानी हो, वहां जाने से बचें. ज्यादा फिटिग के कपड़े भी नहीं पहने चाहिए.
मिर्गी के दौरे का इलाज
ब्लड टेस्टः खून की जांच, जिसमें डॉक्टर खून का नमूना लेकर उसमें संक्रमण, अनुवांशिक स्थिति, या अन्य किसी स्थिति का परीक्षण करता है, जिनकी वजह से मिर्गी का दौरा पड़ सकता हो.
न्यूरोलॉजिकल टेस्टःन्यूरोलॉजिकल परीक्षण, जिसमें डॉक्टर मरीज के व्यवहार, मोटर क्षमताओं, मानसिक कार्य, एवं अन्य क्षेत्रों का आकलन करता है, ताकि मरीज की स्थिति का निदान कर मिर्गी के प्रकार को समझा जा सके.
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मिर्गी की जांच के लिए मेडिकल टेस्ट
- इलेक्ट्रोएंसेफैलोग्राफी (ईईजी)
- मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई)
- पोज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी)
- कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (सीटी स्कैन)
- सिंगल-फोटॉन एमिशन कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (स्पेक्ट)
मिर्गी के दौरे का इलाज कैसे किया जा सकता है?
मिर्गी के अनेक कारण नियंत्रण से बाहर हैं और अपरिहार्य हैं, लेकिन उनका इलाज हो सकता है. मिर्गी का इलाज दवाइयों से शुरू होता है. यदि दवाइयों से लाभ न मिले, तो डॉक्टर सर्जरी या अन्य तरह के इलाज का सुझाव दे सकते हैं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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