डीएनए हिंदी: दिल्ली में रहने वाली कनिष्का बताती हैं कि अक्सर जब भी उनका मूड खराब होता है या वो तनाव महसूस करती हैं तो शॉपिंग पर निकल पड़ती है.अपने मूड को चीयर अप करने के लिए वो जो मर्जी,अनचाही बगैर जरूरत की चीजें खरीद लेती हैं,उससे कुछ समय के लिए उन्हें अच्छा तो लगता है लेकिन बाद में उसका नुकसान भी झेलना पड़ता है और अफसोस होता है कि उन्होंने यह क्यों किया.
यह सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि शहरों में रहने वाली आज की अधिकतर युवा पीढ़ी करती है. घर,ऑफिस या रिलेशनशिप के तनाव से बचने के लिए या रिफ्रेश होने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन शॉपिंग करने चले जाते हैं, उन्हें लगता है इससे उनका मूड अच्छा होगा लेकिन वास्तव में यह एक तरह का छलावा है और डॉक्टर आजकल इसे एक डिसऑर्डर (Mental Disorder) की तरह देख रहे हैं
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क्या यह एक मेंटल डिसऑर्डर है
आईए मनोवैज्ञानिक से जानते हैं कि आखिर वह इस अजीब से बिहेवियर को क्या कहते हैं और उनके मुताबिक इसका समधान क्या हो सकता है. डॉक्टर्स इसे इमोशनल स्पेंडिंग (Emotional Spending) कहते हैं और यह नॉर्मल बिहेवियर की निशानी नहीं है.इमोशनल स्पेंडिंग या भावनात्मक खर्च एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में बहुत से लोगों को पता ही नहीं होता और इसलिए वह अपनी मेहनत की कमाई को यूं ही बर्बाद करते रहते हैं लेकिन इस इमोशनल स्पेंडिंग का जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. लेकिन आप खुद पर कंट्रोल करके या फिर परिस्थिति ज्यादा हावी होने पर काउंस्लिंग भी करवा सकते हैं.
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क्या है ये इमोशनल स्पेंडिंग (What is Emotional Spending in Hindi)
दरअसल, यह मेल या फीमेल के लिए अलग नहीं है लेकिन महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलती है.जैसे आप किसी बात से लगातार परेशान हैं, ऑफिस या घर में कोई तनाव है, आपका मूड खराब है तो आप रिफ्रेश होने के लिए या माइंड को डाइवर्ट करने के लिए ऐसा करती हैं.दूसरों शब्दों में, आप बोरियत, तनाव, आत्मसम्मान की कमी की भावना या नाखुशी के कारण को दूर करने, खुद को संतुष्ट करने के लिए खर्च करने का रास्ता चुनती हैं. इस तरह वह अपनी भावनाओं व खराब मूड से उबरने के लिए पैसों का सहारा लेते हैं.
परिणाम (Results of Emotional Spending)
- अगर आप लगातार ऐसा करती हैं तो बाद में आपको पैसों की तंगी आ सकती है.आप अपने बजट को मैनेज कर पाने में नाकाम होती हैं
- आपका पर्सनल फाइनेंस पूरी तरह से बिगड़ जाता है. महीने के अंत में आपको नहीं समझ आएगा आप कैसे मैनेज करें
- आप कई बार इस चक्कर में उधार लेने में भी झिझक नहीं करती हैं.दोस्त हो या कलिग आप किसी के भी क्रेडिट कार्ड को यूज करके अपने मन का काम कर लेती हैं.
- अगर आप खुद को भावनात्मक रूप से संतुष्ट करने के लिए लगातार खर्चा करती हैं तो इससे आपके लिए बचत करना मुश्किल हो जाता है और फिर किसी इमरजेंसी में आप खुद को एक बहुत बड़ी मुश्किल हो जाती है.
- इतना ही नहीं, जिन महिलाओं में इमोशनल स्पेंडिंग की भावना प्रबल होती है, वह खुद को संतुष्ट करने के लिए अपनी आय से अधिक खर्च करती हैं, जिसके कारण उन पर कर्ज का बोझ हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता जाता है और फिर वह अन्यथा ही तनावग्रस्त रहने लगती हैं
डॉक्टर की सलाह (Doctors opinion on this disorder)
इस बारे में जब हमने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेस के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर ओम प्रकाश से बात की तो उन्होंने बताया कि इस तरह के बिहेवियर करने वाले तीन तरह के लोग होते हैं.पहली श्रेणी के लोग जो तनाव में बस विंडो शॉपिंग करते हैं, वो ज्यादा नुकसानदायक नहीं होता.दूसरे तरह के लोग डिप्रेशन में होते हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आता और उस शॉपिंग से वे रिलेक्स भी नहीं होते, ये एबनॉर्मल बिहेवियर होता है, तीसरी श्रेणी वो लोग जो कंपलसरी शॉपिंग करते हैं.लगातार करते रहते हैं और बाद में पश्चाताप करके तनाव में आते हैं.डॉक्टर ने इसके समाधान भी बताएं
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समाधान (Solution for Emotional Spending)
-जितना हो सके शॉपिंग अपनी फैमिली के साथ करने जाएं, ताकि वे लोग आपको चेक कर सकें कि आप किस तरह से स्पेंडिंग कर रही हैं.
-शॉपिंग को एक हॉबी की तरह करें, आवश्यक न बना लें, हो सके तो विंडो शॉपिंग ज्यादा करें , यह हेल्दी और किफायती है.इससे आपका मूड रिफ्रेश हो जाता है.
-अगर ये बिहेवियर ज्यादा होने लगे तो आप तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
-अलग-अलग चीजों के लिए एक बजट तय करें, जैसे आप हर महीने किसी ना किसी बड़े सेलेब्रेशन के लिए एक बजट तय कर सकती हैं,
-जिस तरह आप अपने खर्चों का बजट बनाती हैं, ठीक उसी तरह सेविंग्स का भी एक बजट बनाएं, हर महीने सैलरी आने पर आप पहले उस बचत को निकालकर एक तरफ रख दें, उसके बाद बाकी खर्च करें.
-कुछ अच्छी हॉबीज अपनाएं ताकि जब भी आपको अकेला लगे आप बागवानी करें, म्यूजिक सुन लें, थोड़ा साइलेंस में मेडिटेशन करें या फिर डायरी में लिखें.
-स्थायी समाधान अपनाने की कोशिश करें, जैसे कोई अच्छी किताब पढ़ लें, पेंटिंग कर लें, ये आपको उस तनाव ग्रस्त माहौल से दूर ले जाएगा और आपको वास्तविक खुशी दे
-भावनात्मक खर्च से बचने के लिए ट्रिगर्स से बचने का प्रयास करें, जैसे अगर खाली बैठी हैं तो जरूर आप कोई ना कोई ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर विजिट करती हैं तो यकीनन आपको कुछ ना कुछ खरीदने का मन करेगा और आपके लिए खुद पर नियंत्रण रखना मुश्किल होगा,ऐसे में खाली समय होते ही प्रकृति के पास जाएं, अपने डिजिटल गैजेट छोड़कर शांति के वातावण में टहलने निकल जाएं.इससे आपको मन का चैन और सुकून मिलेगा.
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Emotional Spending: आखिर महिलाओं की यह कैसी शॉपिंग है, जो उनके हेल्थ के लिए है नुकसानदायक