रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बारे में तो आप सभी जानते ही हैं. हम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में भी जानते हैं, जिन्होंने युद्ध शुरू किया था. अब उनके बारे में एक और चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. यानी रूसी राष्ट्रपति दिन-प्रतिदिन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और कहा जा रहा है कि वे मौत के कगार पर हैं. यह बात खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कही है और फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है.
कुछ हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि पुतिन पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं. लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. अभी तक इस बारे में केवल अटकलें ही लगाई जा रही हैं. लेकिन इस चर्चा से हम सभी को पार्किंसंस रोग के बारे में जानने में मदद मिलेगी. डॉक्टर ने यह भी बताया कि यह बीमारी कैसे होती है.
पार्किंसंस रोग क्या है?
यह तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्या है और शुरुआत में शरीर कांपने लगता है. इसके बाद आप अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकेंगे. फिर धीरे-धीरे मानव शरीर कमजोर होता जाता है.
मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रसायन धीरे-धीरे कम होने लगता है. इससे शरीर पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद आप न तो बोल सकेंगे और न ही अपने हाथ-पैर हिला सकेंगे.
इस रोग के लक्षण क्या हैं?
पार्किंसंस रोग का निदान होने के बाद लक्षण विकसित होने लगते हैं. लक्षण पहले हल्के होते हैं और फिर गंभीर हो जाते हैं. हाथ-पैरों में कंपन होने लगता है, चलना धीमा हो जाता है और शरीर अकड़ जाता है. बोलना कठिन है और उसका चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे वह खो गया हो. अगर तुम चलने की कोशिश करोगे तो गिर जाओगे.
क्या व्लादिमीर पुतिन को सचमुच यह बीमारी है?
हाल के दिनों में पुतिन का चेहरा सूजा हुआ दिखाई दिया है तथा कुछ वीडियो और तस्वीरों में उनके हाथ कांपते हुए देखे गए हैं. इसके अलावा, उनकी आंखें लाल हैं, जिसे पार्किंसंस रोग का लक्षण बताया जा रहा है. लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक लक्षण है और शरीर की गतिविधियों की पहचान करके इस बीमारी का निदान किया जा सकता है.
क्या इस बीमारी का कोई इलाज है?
फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. यह धीरे-धीरे शरीर में विकसित होता है और फिर उसे कमजोर कर देता है. समय पर उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. डॉक्टर मस्तिष्क में डोपामाइन बढ़ाने वाली दवाएं देकर इस रोग के लक्षणों को नियंत्रित करते हैं. कुछ मामलों में सर्जरी आवश्यक हो सकती है.
यह रोग कैसे फैलता है?
इसका मतलब यह नहीं है कि पार्किंसंस रोग ऐसे ही आता है. यह रोग 60 वर्ष की आयु के बाद होने की अधिक संभावना होती है. यह वंशानुगत भी हो सकता है. इसका अर्थ यह है कि यदि पार्किंसंस रोग परिवार में मौजूद रहा है, तो भावी पीढ़ियों को यह रोग विरासत में मिल सकता है. यह समस्या कुछ रसायनों और विषैले तत्वों के लम्बे समय तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है.
डॉक्टर इस बारे में क्या कहते हैं?
पार्किंसन रोग एक मस्तिष्क रोग है जो शरीर की गतिविधि को धीमा कर देता है और फिर उसे कमजोर कर देता है, जिससे कोई भी काम करना असंभव हो जाता है. हाथ कांपना या चलने में दिक्कत का मुख्य कारण मस्तिष्क में डोपामाइन की कमी होना है और यह बीमारी 60 वर्ष की आयु के बाद होने की सबसे अधिक संभावना होती है. सर्जरी से इस बीमारी का इलाज संभव है. कुछ मामलों में इसे दवा से भी नियंत्रित किया जा सकता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.)
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