डीएनए हिंदीः डिप्रेशन को अब तक सिर्फ एक मानसिक समस्या समझा जाता है. कुछ लोग इसे सीधे तौर पर एक समस्या भी नहीं मानते हैं. उन्हें लगता है ये बस मूड खराब होने जैसी बात है जो कुछ समय बाद खुद ही ठीक हो जाती है. जबकि सच ये है कि डिप्रेशन या अवसाद एक बढ़ती हुई समस्या है. इसकी समय पर पहचान होना जरूरी है. अच्छी बात ये है कि शोध और अध्ययनों की दुनिया में अब इसे एक शारीरिक समस्या के तौर पर भी पहचान मिल गई है. नई रिसर्च के मुताबिक अब ब्लड टेस्ट के जरिए भी डिप्रेशन का पता लगाया जा सकता है.

कैसे होगी पहचान
जाहिर सी बात है कि जब भी हमें कोई समस्या होती है, डॉक्टर कुछ टेस्ट लिखकर उस समस्या के स्तर का पता लगाता है. दवाई देता है और इलाज करता है. वहीं डिप्रेशन जैसी समस्या का पता लगाने में अक्सर काफी देर हो जाती है. कई बार खुद डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति को इसका पता नहीं चल पाता. ऐसे में ब्लड टेस्ट से डिप्रेशन की जांच होना इस समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है. इस ब्लड टेस्ट के दौरान RNA मार्कर्स का इस्तेमाल करके डिप्रेशन की समस्या का पता लगाया जा सकेगा. RNA मार्कर एक प्रकार का बायोलॉजिकल मार्कर है. अलग-अलग बीमारियों के जितनी भी तरह के ब्लड टेस्ट होते हैं, उसमें अलग-अलग तरह के बायलॉजिकल मार्कर की जांच की जाती है. इन बायोलॉजिकल मार्कर्स का कम या ज्यादा होना बताता है कि आपको कौन सा रोग है और किस स्तर पर है. 

कहां हुआ है शोध
इंडिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने ये ब्लड टेस्ट तैयार किया है. इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एलेक्जेंडर निकुलेस्कू का कहना है, ' हमारा शोध बताता है कि ब्लड टेस्ट के जरिए डिप्रेशन और बायपोलर डिस्ऑर्डर के बारे में पता लगाया जा सकता है. ' शोधकर्ताओं ने मूड डिसऑर्डर से जुड़े बायलॉजिकल आधारों का अध्ययन करने के बाद ऐसे टूल विकसित किए जिनसे डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर के अलग-अलग प्रकारों का पता करने में सफलता मिली. इस टेस्ट को बनाने में 15 सालों के अनुभव और अध्ययनों की मदद ली गई है. इस दौरान ये भी सामने आया है कि हमारी साइकेट्री यानी सोचने की क्षमता भी हमारे ब्लड जीन से जुड़ी होती है. 

टेस्ट को मिल गई है मान्यता
डॉ. निकुलेस्कू के मुताबिक हमारे शरीर का हर सिस्टम चाहे वो मस्तिष्क हो, इम्यून सिस्टम हो या नर्वस सिस्टम हो, सबका एक कॉमन डेवलपमेंटल रूट होता है. मसलन जब आप तनाव या डिप्रेशन में होते हैं, तो कुछ साइको न्यूरोलॉजिकल मैकेनिज्म या हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जो आपके ब्लड और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं. इसका सीधा मतलब ये है कि इम्यून एक्टीवेशन या इंफ्लेमेशन का मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है. निकुलेसकु और अन्य विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए इस टेस्ट को अमेरिका में मान्यता मिल चुकी है. अब वहां उन रोगियों के लिए ये टेस्ट उपलब्ध है, जिनमें डिप्रेशन और बायपोलर डिस्ऑर्डर की आशंका जताई जा रही है. 
 

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a blood test to diagnose depression
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डिप्रेशन का इलाज हो जाएगा अब आसान
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