डीएनए हिंदीः माइग्रेन सिरदर्द एक गंभीर रूप हैं जिसमें सिर के किसी एक हिस्से में जबरदस्त दर्द उठता है. आंखों के सामने चमक या धब्बे दिखने के साथ दर्द की शुरूआता होती है. इसके साथ ही पित्त की उल्टी होना, लाइट और शोर के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है. ये दर्द 1 से 3 या 7 दिन तक रह सकता है.
आयुर्वेद में माइग्रेन के इलाज के कई अचूक नुस्खे बताए गए हैं. कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो सिर के दर्द को कम करने में रामबाण दवा की तरह काम करती हैं. आज आपको कुछ ऐसे ही आयुर्वेद की अचूक दवाओं के बारे में बताएंगे जो माइग्रेन का इलाज करती हैं.
शिरोलेपा:
शिरोलेपा तनाव के कारण होने वाले माइग्रेन और मानसिक थकावट को ठीक करने में मदद करता है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें कुछ जड़ी-बूटियों को मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है. पेस्ट को सिर पर रखा जाता है, और एक घंटे के लिए केले के पत्ते की मदद से ढक दिया जाता है.
शिरोधारा:
गर्म तेल की एक पतली धारा माथे पर( वह क्षेत्र जहां हमारी तंत्रिकाएं अत्यधिक केंद्रित होती हैं) लगातार प्रवाहित की जाती हैं. जब लगातार तेल डाला जाता है तो तेल का दबाव माथे पर एक कंपन पैदा करता है, जो हमारे दिमाग और तंत्रिका तंत्र को मानसिक आराम की गहरी स्थिति का अनुभव करने की अनुमति देता है.
कवला ग्रह:
कवला ग्रह का विषहरण प्रभाव होता है और यह माइग्रेन के सिरदर्द से राहत देता है. आयुर्वेद माइग्रेन के अटैक को ठीक करने के लिए चंदनादि तैल और महानरायनी तैल से मालिश करने की सलाह दी जाती है.
स्नेहा बस्ती:
यह थेरेपी नाक के रास्ते दी जाती है. शिडबिंदु तैल या अनु तैल जैसे चिकित्सीय तेल नाक में डालते हैं. यह कंधे से लेकर माइग्रेन तक के दर्द का इलाज करता है.
माइग्रेन का अनुभव होते ही क्या करें
माइग्रेन का दर्द शुरू होने के कई घंटे पहले ही दर्द होने का संकेत देने लगता है. दर्द की आहट मिलते ही आप किसी शांत, हवादार और अंधेर कमरे में जा कर लेट जाएं. पानी अधिक से अधिक पीएं और सोने का प्रयास करें. चाहें तो लैवेंडर या लेमनग्रास ऑयल की कुछ बूंद सूंघें और उससे तेल में मिलकर सिर की मालिश कराएं. अपने कंधे पर मसाज जरूर लें ये गैस को खत्म कर आपके दर्द को आराम देगा. हल्का और सुपाच्य खाना खाएं. मिर्च-मसाले बिलकुल न लें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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