डीएनए हिंदीः डब्ल्यूएचओ ने चौकाने वाली रिपोर्ट शेयर की है जिसमें साल 2021 में दुनियाभर में टीबी यानी ट्यूबरकोलॉसिस के कुल 1 करोड़ 6 लाख मामले सामने आए और 2020 से तुलना में 2021 में मामले 4.5 फीसदी मामले बढ़ें हैं. ऐसमें जयरी है कि इस जानलेवा बीमारी को हल्के में न लिया जाए और समय रहते इसके संकेतों को पहचान कर इलाज किया जाए.
टीबी के लक्षण बेहद आम होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके संकेत को पहचाना नहीं जा सकता है. इन आम संकेतों से ही इसे कैसे पहचान सकते हैं और कब इसकी जांच जरूर करा लेनी चाहिए.
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क्या है टीबी का रोग
ट्यूबरकोलॉसिस यानी टीबी एक संक्रामक रोग है. टीबी का बैक्टीरिया सांस से फैलता है. छींकने या खांसने से ये एक से दूसरे तक पहुंचता है. यही नहीं टीबी के मरीज के कफ जहां-तहां थूकना भी बीमारी को बढ़ता है. इसलिए जिसे टीबी होती है उसका कपड़े, बिस्तर ही नहीं खाने की प्लेट्स को भी अलग रखना चाहिए. मरीज के लार, बलगम और उसके संपर्क आने वाले भी इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं. फेफड़ों के अलावा टीबी यूटरस, हड्डियों, मस्तिष्क, लिवर, किडनी और गले में भी हो सकता है. खास बात यह है कि फेफड़े की टीबी के अलावा अन्य अंगों की टीबी संक्रामक नहीं होती है.
कब करानी चाहिए इसकी जांच
यदि दो सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी बनी रहे और खांसी के साथ कफ या बलगम आए या बलगम में खून दिखने लगे तो आकपो तुरंत टीबी की जांच करानी चाहिए. हालांकि टीबी के अन्य कई और लक्षण भी है, इसलिए इन लक्षणों पर भी ध्यान देना जरूरी है क्योंकि लंग्स में होने वाली टीबी की पहचान खांसी या बलगम से हो सकती है लेकिन शरीर के अन्य अंग में होने वाली टीबी की पहचान आप इन संकेतों से भी कर सकते हैं.
ट्यूबरकोलॉसिस लक्षण
- टीबी का एक प्रमुख लक्षण है खांसी. अगर आपको तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी हो तो इसे नजरअंदाज न करें.
- खांसी में खून आना
- सीने में दर्द या सांस लेने और खांसने में दर्द होना
- लगातार वजन कम होना
- चक्कर आना
- रात में पसीना आना
- ठंड लगना
- भूख न लगना
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क्यों खतरनाक है टीबी
टीबी का मरीज जब छींकता है तो दबाव से 10 हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं. वहींए खांसते समय तीन हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं. इसलिए टीबी के मरीज को छींकते और खांसते समय रुमाल का प्रयोग करना चाहिए. इसका संक्रमण काफी तेजी फैलता है. इसके अलावा टीबी शरीर के जिस हिस्से को अपना शिकार बनाती हैए सही इलाज न मिलने पर वह पूरी तरह बेकार हो जाता है. यूटरस की टीबी के कारण बांझपन होता हैए फेफड़ों में तपेदिक होने पर यह कमजोर और बेकार हो जाते हैं. इसी तरह ब्रेन की टीबी होने पर मरीज को दौरे पड़ते और हड्डी की टीबी में हड्डियां गलने लगती हैं.
लापरवाही बरतने पर हो सकता एमडीआर टीबी
टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है. बशर्ते इसका पुरा डोज लिया जाए. यदि रोगी पुरा डोज नहीं लेगा तो एमडीआर ;मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी की संभावना बढ़ जाती है. जो काफी खतरनाक हो सकता है. सरकारी अस्पताल और डॉट्स केंद्रों में इसका निरूशुल्क इलाज होता है. दवा का नियमित सेवन करना होगा.
टीबी की दवा का अनियमित सेवन करना, बिना चिकित्सीय परामर्श के दुकानों से टीबी की दवा लेना एवं टीबी की दवा खाने से पहले ड्रग सेंसेटिविटी जांच नहीं होने से भी एमडीआर टीबी होने की का संभावना ख़तरा बढ़ जाती है.
टीबी से बचने के लिए लें प्रोटीन युक्त आहार
बेहतर पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर टीबी जैसे गंभीर रोग से बचा जा सकता है. इसके लिए खासकर प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. सोयाबीनए दालेंए मछलीए अंडाए पनीर आदि में प्रोटीन की काफ़ी मात्रा होती है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है. कमजोर इम्युनिटी से टीबी के बैक्टीरिया के सक्रिय होने की संभावना अधिक होती है. टीबी का बैक्टीरिया शरीर में ही होता हैए लेकिन अच्छी इम्युनिटी से इसे सक्रिय होने से रोका जा सकता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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लगातार खांसी और कफ टीबी का भी संकेत, कब करानी चाहिए इस बीमारी की जांच