डीएनए हिंदी : आज विश्व मलेरिया दिवस है. किसी ज़माने में मलेरिया जानलेवा बीमारी समझी जाती थी. मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी किसी ज़माने में लाइलाज भी थी. 2020 में पूरा विश्व जब 6,27,000 लोगों की जान मलेरिया से गई. इस दौरान मलेरिया के 241 मिलियन मलेरिया के केस रिपोर्ट हुए थे. हृदय विदारक बात यह रही कि इस दौरान 85 देशों में 6 लाख से अधिक लोगों की मौत मलेरिया की वजह से हो गई, जिसमें सबसे अधिक 5 साल की उम्र तक अफ्रीकी बच्चे थे. चार अफ्रीकी देशों में दुनिया भर की आधी मलेरियाजनित मौतें होती हैं. इन देशों में नाइजीरिया, रिपब्लिक ऑफ़ कांगो , यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ़ तंज़ानिया और मोज़ाम्बिक सरीख़े देश शामिल हैं.
मलेरिया : कारण और लक्षण
मलेरिया दरअसल प्लाजमोडियम परजीवियों की वजह से होता है. मादा एनाफिली मच्छर इन परजीवियों का संचरण करती हैं. मलेरिया कुल पांच तरह के परजीवियों की वजह से होता है. इनमें दो प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम और प्लाजमोडियम विवैक्स सबसे अधिक खतरनाक हैं. अफ्रीकी देशों में सबसे अधिक इनके ही मामले सामने आते हैं. मलेरिया के लक्षण 10-15 दिनों में नज़र आना शुरू होते हैं. इनके आम लक्षणों में बुखार, सरदर्द और ठण्ड लगना शामिल है.
मलेरिया मुक्त देश
2020 से 2022 के बीच कुल 12 देशों को WHO के द्वारा मलेरिया फ्री घोषित किया गया था. ये सारे देश संयुक्त अरब अमीरात, मोरोक्को, तुर्कमेनिस्तान, अर्जेंटीना, किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान, पराग्वे, श्री लंका, अल्जीरिया, चीन और अल सल्वाडोर हैं. ज्ञात हो कि मलेरिया फ्री का प्रमाणपत्र तब ही दिया जाता है जब किसी देश में लगातार तीन साल तक शून्य मलेरिया केस हों.
WHO की रपट के अनुसार 6 दिसंबर 2021 तक दक्षिण एशियाई देशों में होने वाली मौतों में भारत 80% से अधिक मौतें भारत में होती हैं.
World Hemophilia Day: मामूली खरोंच को भी जानलेवा बना देती है यह बीमारी, जानें कारण और लक्षण
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.
- Log in to post comments