डीएनए हिंदी: 1984 में देश का पहला सीरियल शुरू हुआ नाम था हम लोग (Hum Log). मिडिल क्लास पर बने इस सीरियल ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ दी थी. इस सीरियल का हर कलाकार एक सितारा था. इस सीरियल को देखने के लिए ना जाने कितने लोगों ने टीवी खरीद डाले थे. देखते ही देखते और भी सीरियल बनने लगे. हम लोग के बाद बुनियाद (1986-87), रामायण (1987-88) और महाभारत (1988-89) जैसे कई टीवी शो टेलिकास्ट हुए. ये गिनती आज दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. आज टीवी पर सीरियल की भरमार है. काफी टीवी शो ऐसे हैं जो आज भी लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं. कई ऐसे भी रहे हैं जो अपनी छाप छोड़ने में नाकामयाब रहे पर क्या आप ये जानते हैं कि टीवी सीरियल को डेली सोप क्यों कहा जाता है. नहीं, तो हम आपको बताएंगे कि आखिर टीवी सीरियल्स को डेली सोप के नाम से क्यों जाना जाता है.
टीवी का सफर करीब 96 साल पुराना है. नौ दशक पहले कभी भारी-भरकम डिब्बे के रूप में दिखने वाला इडियट बॉक्स आज काफी स्लिम हो गया है. टेक्नोलॉजी तो ऐसी विकसित हुई है कि आज तो हमारे बोलने भर से ही चैनल बदल जाते हैं पर सोचिए जरा टीवी होता और उसमें देखने को कुछ नहीं होता तो आप क्या करते. खैर टीवी आया तो साथ में टीवी शो भी शुरू हुए. भारत में पहला टीवी सीरियल शुरू हुआ था 1984 में. उस दौर में टीवी और सीरियल को लेकर लोगों का क्रेज देखने लायक होता था.
हम लोग के बाद बुनियाद (1986-87), रामायण (1987-88) और महाभारत (1988-89) जैसे कई शोज बने जिन्हें देखने के लिए लोग अपने काम छोड़ दिया करते थे. सकड़ों पर सन्नाटा छा जाता था, जिसके घर में टीवी होता था उसके यहां लोगों का मजमा लग जाता था पर आज सब बदल चुका है. हालांकि बात यहां हो रही है कि आखिर टीवी सीरियल को डेली सोप (Daily Soap) क्यों कहा जाता है.
दरअसल बात काफी पुरानी है. 1920 के दौर में रेडियो स्टेशन को आसानी से विज्ञापन नहीं मिलते थे. इन ऐड के लिए रेडियो को काफी महनत करनी पड़ती थी. घरेलू सामान के ऐड आसानी से मिल सकते थे पर रेडियो की टारगेट ऑडियंस महिलाएं बन रही थीं. उस वक्त P&G कंपनी यानी प्रॉक्टर एंड गैंबल ने अपने एक प्रोडक्ट के लिए रेडियो शो स्पॉन्सर किया. 1933 में ये शो आया जिसका नाम था 'Ma Perkins' जिसमें उनके प्रोडक्ट Oxydol के लिए विज्ञापन देना था. इन शो के बीच बीच में Oxydol का ऐड आने लगा और फिर ये जबरदस्त तरीके से हिट हो गया. इसको देखते हुए रेडियो शो बनने शुरू हो गए जिनमें बीच बीच में ऐड आ जाया करते थे. इस वजह से इन कार्यक्रमों को सोप ओपेरा (Soap opera) या डेली सोप (Daily Soap) कहा जाने लगा. बाद में रेडियो की जगह टीवी ने ले ली. मगर ये तरीका और नाम वैसा ही. इसी कारण इन्हें आज भी डेली सोप ही कहा जाता रहा.
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वहीं इसको लेकर एक और धारणा भी है. कहा जाता है कि जब यूएसए में ओपेराज़ ने टीवी की दुनिया में अपना पहला कदम रखा, तो साबुन बनाने वाली यानी सोप कंपनियों में उन्हें स्पॉन्सर करने की होड़-सी लग गई. साबुन बनानेवाली सभी कंपनियां चाहती थीं कि उनका साबुन यानी उनका सोप ओपेराज़ को स्पॉन्सर करे. साबुन कंपनियों की इस होड़ को देखते हुए ओपेराज़ का नाम सोप ओपेरा पड़ गया. हालांकि आज भी टीवी शो को स्पॉन्सर करने के लिए कंपनियों में होड़ लगी रहती है. किसी सीरियल का ट्रेलर आया नहीं कि कंपनियों ने बोली लगाना शुरू कर दिया.
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खैर जो भी हो, इन डेली सोप ने लोगों के जीवन में एक अलग ही जगह बना रखी है जो शायद आज के जमाने के ये OTT प्लेटफॉर्म ना ले पाएंगे.
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