डीएनए हिंदी: सिनेमा में एक समय ऐसा था जब फिल्म के बोल्ड सीन को खासतौर पर हाइलाइट किया जाता था. दर्शकों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए किसी एक सीन को पोस्टर पर पेश कर दिया जाता था. ऐसा ही एक बार स्मिता पाटिल की फिल्म चक्र के साथ हुआ था. फिल्म की कहानी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली एक महिला के इर्द-गिर्द थी.

एक ऐसी महिला की जिंदगी कैसी हो सकती है? जिसके पास रहने को जगह नहीं थी उसके पास नहाने की जगह कहां से होगी. ऐसा ही एक रोजमर्रा के काम से जुड़ा सीन फिल्म में था. जहां स्मिता को बाहर नल के पास बैठकर नहाते दिखाया गया था. फिल्म मेकर्स ने इसी सीन को उठाया और पोस्टर बना डाला.

इस पर बात करते हुए स्मिता ने कहा था, फिल्म जब मार्केटिंग के लिए निकलती है तो पब्लिसिटी हमेशा डिस्ट्रिब्यूटर्स के हाथ में होती है. इंडियन ऑडियंस पर ये बात फोर्स की गई है कि देखिए इस फिल्म में सेक्स है, इसमें औरतों के आधे नंगे शरीर हैं तो आप फिल्म देखने के लिए आइए. ये एक एटिट्यूड बन गया है जो कि बहुत गलत है. फिल्म अगर चलनी है तो वो अपने कॉन्टेंट पर चलेगी. सिर्फ ऐसे पोस्टर से फिल्म नहीं चलती, इस तरह के सीन का गलत इस्तेमाल बहुत गलत आदत है. हीरो को तो नंगा दिखा नहीं सकते उससे कुछ होने भी वाला नहीं है लेकिन औरत को नंगा दिखाएं तो उन्हें लगता है कि 100 लोग और आ जाएंगे.

स्मिता ने कहना था कि फिल्म मेकर्स को लगता है कि दर्शक बोल्ड सीन को देखकर आएंगे लेकिन ऐसा नहीं है अच्छा कॉन्टेंट और अच्छी फिल्म अपने-आप दर्शकों को थिएटर तक लाती है.

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when smita patil said bold scenes are used just for publicity
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जब एक्ट्रेस ने कहा था हीरो को नंगा दिखाने से कुछ नहीं होने वाला
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फिल्म चक्र के सीन में स्मिता पाटिल
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फिल्म चक्र के सीन में स्मिता पाटिल

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