84 वर्षीय पंडित शिवकुमार शर्मा बीते 6 महीनों से किडनी से जुड़ी समस्या से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे. मंगलवार को कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनकी मौत हो गई. पंडित शिव कुमार शर्मा ने संतूर वादन की कला को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई थी.
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फिल्मी दुनिया में भी पंडित शिव कुमार शर्मा का खास योगदान रहा. पंडित शिव ने हिंदी सिनेमा में कई यादगार गानों में संगीत दिया है. अपने संगीत के जरिए वो लोगों को दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.
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पं. शिवकुमार का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था. उनके पिता उमा दत्त शर्मा भी एक गायक थे. उन्होंने ही पांच साल की उम्र से बेटे शिव कुमार को तबला और संगीत सिखाना शुरू किया.
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शिवकुमार बचपन में जम्मू रेडियो स्टेशन पर बाल कलाकारों के कार्यक्रम में तबला परफॉर्मेंस दिया करते थे. शुरुआत में उनके पिता तबला और गायन सिखाते थे लेकिन एक दिन उन्होंने अपने बेटे के हाथ में संतूर दिया और कहा कि इसे बजाओ... बस इस लम्हे ने शिवकुमार की जिंदगी बदल दी.
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शिवकुमार ने बीए कर दिया तो उनके पिता ने जम्मू रेडियो पर उन्हें म्यूजिक प्रोड्यूसर की नौकरी दिलवाने की कोशिश की. हालांकि, वो कभी भी नौकरी नहीं करना चाहते थे और जब बात शिवकुमार ने अपने पिता को बताई तो उन्हें पिता का गुस्सा झेलना पड़ा.
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पिता ने भले ही गुस्सा किया लेकिन जब शिवकुमार ने मुंबई जाकर संगीत में नाम कमाने का फैसला कर लिया तो उनके पिताजी ने पांच सौ रुपए देकर बेटे की मदद की. एक जून 1960 में शिवकुमार मुंबई आ गए थे.
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जहां एक तरफ जहां 13 साल की उम्र में शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता के कहने पर संतूर सीखना शुरू कर दिया था. वहीं, पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए शिवकुमार ने अपने बेटे राहुल को भी इसका प्रशिक्षण दिया था. वो 1996 से अपने बेटे राहुल के साथ परफॉर्म करते आ रहे हैं.
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पं शिवकुमार ने जाकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया जैसे कई संगीतकारों के साथ मिलकर काम किया है. हिंदी फिल्मों जैसे दार, सिलसिला, लम्हे जैसे कई मशहूर गाने बनाए हैं.
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उनके सबसे चर्चित म्यूजिक एल्बम की बात करें तो इसमें 'कॉल ऑफ द वैली', 'संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल', 'संगीत की पर्वत', 'मेघ मल्हार' शामिल हैं.
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संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पंडित शिव कुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफिज अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, जैसे कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है.
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साल 2002 में उन्होंने अपनी आत्मकथा 'जर्नी विद हंड्रेड स्ट्रिंग्स: माई लाइफ इन म्यूजिक' प्रकाशित की थी. शिव कुमार ने जीवन भर अपने छात्रों को बिना किसी फीस के संतूर संगीत सिखाया था.
Short Title
पिता से लड़ मुंबई आए थे Pandit Shivkumar Sharma, 500 रुपए ने बनाया महान संगीतकार