उनके द्वारा दी गई शिक्षा और देश के लिए उनके त्याग को आज तक कोई भूल नहीं पाया है. बापू ने सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर किया. यही कारण है कि आज भी जब उन्हें याद किया जाता है तो देशभक्ति की एक अलग सी लहर लोगों के दिलों में दौड़ पड़ती है. उनकी इसी याद को सदियों तक लोगों के दिलों में कायम रखने के लिए सिनेमा जगत ने गांधी जी पर कई फिल्में बनाईं. इनमें से एक को तो 8 ऑस्कर अवॉर्ड (Academy Awards) से भी नवाजा गया.
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फिल्म का नाम था 'गांधी.' डायरेक्शन किया रिचर्ड एटनबरो ने और महात्मा गांधी का रोल किया बेन किंग्सले (Ben Kingsley) ने. हालांकि, फिल्म के लिए वो पहली पसंद नहीं थे. गांधी का किरदार निभाने के लिए नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का स्क्रीन टेस्ट लिया गया था लेकिन बाद में यह रोल बेन ने ही निभाया.
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1982 में रिलीज के साथ ही फिल्म दुनियाभर में पॉपुलर हो गई. 'गांधी' ने हर किसी का सिर सम्मान के साथ ऊपर उठा दिया था. फिल्म में बापू के जीवन को बारिकी के साथ दिखाया गया और बेन ने इसके लिए काफी मेहनत भी की.
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कहा जाता है कि गांधी में बापू का किरदार निभाने के लिए ब्रिटिश अभिनेता ने 28 से ज्यादा किताबें पढ़ डाली थीं. इतना ही नहीं, एक्टर ने भारी मात्रा में अपना वजन भी कम किया. हिंदी में सुधार लाने के लिए भी बेन को घंटों प्रैक्टिस करनी पड़ती थी और इस मेहनत का नतीजा स्क्रीन पर देखने को भी मिला.
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'गांधी' को 11 बार ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नोमिनेट किया जिसमें से फिल्म ने अपने नाम 8 ऑस्कर अवॉर्ड किए. इनमें बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर (रिचर्ड एटनबरो), बेस्ट नया कथानक (जॉन ब्रिले), बेस्ट फिल्म एडिटिंग (जॉन ब्लूम), बेस्ट लीड एक्टर (बेन किंग्सले), बेस्ट आर्ट डायरेक्शन, बेस्ट फोटोग्राफी, बेस्ट ड्रेस डिजाइनर (भानु अथैया) का नाम शामिल है. इसके अलावा तीन और नॉमिनेशन की बात करें तो इसमें मेकअप (टॉम स्मिथ), नई ध्वनि (रवि शंकर और जोर्ज फेंटन) और सर्वश्रेष्ठ साउंड केटेगरी शामिल थी.
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बता दें कि फिल्म में गांधी के अंतिम संस्कार का सीन शूट करने के लिए 19 कैमरे लगाए गए थे. यह सीन गांधी जी की 33वीं पुण्यतिथि के दिन शूट किया गया. उस दौरान बेन का मोम का पुतला अर्थी पर लिटाया गया था जबकि शवयात्रा के दौरान बेन खुद अर्थी पर आंख बंद किए लेटे रहे थे.
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भारत और यूके का कॉम्बो प्रोजेक्ट 'गांधी फिल्म' का एक तिहाई बजट भारत सरकार ने दिया था. रिचर्ड गांधी फिल्म बनाने का आइडिया लेकर नेहरू से मिलने आए थे. तब भारत के पहले पीएम ने उनसे कहा था कि गांधीजी को देवता की तरह ना दर्शाया जाए. वे लोगों के नेता थे, जन नायक थे इसलिए उन्हें उसी रूप में दिखाया जाए.
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बात अगर गांधी जी की करें तो कहा जाता है कि उन्हें सिनेमा से लगाव नहीं था. बापू ने अपने जीवन में महज 2 फिल्में देखी थीं. एक फिल्म विदेशी भाषा की थी और दूसरी हिंदी की.
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हिंदी फिल्म थी 'राम राज्य.' फिल्म का शो 2 जून 1944 को मुंबई के जुहू में रखा गया. उस समय गांधी जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी. डॉक्टर्स की इजाजत के बाद वे केवल आधे घंटे के लिए फिल्म देखने पहुंचे. हालांकि, राम राज्य की कहानी ने उन्हें काफी प्रभावित किया और उन्होंने एक घंटे से ज्यादा समय तक मूवी देखी.
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इसके अलावा महात्मा गांधी ने हॉलीवुड फिल्म 'मिशन टू मॉस्को' देखी थी. हालांकि, ये फिल्म बापू को प्रभावित नहीं कर पाई.
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Gandhi Jayanti 2022: महात्मा गांधी ने जिंदगी में देखीं बस दो फिल्में