एक समय था जब महिला फिल्ममेकर्स के नाम पर बॉलीवुड में सिर्फ दो ही चेहरे नजर आते थे. एक अपर्णा सेन और दूसरा दीपा मेहता। आज का सिनेमा अलग है. आज ना सिर्फ फिल्में हीरो की गैरमौजूदगी में सिर्फ हीरोइन के दम पर सुपरहिट हो जाती हैं, बल्कि आज महिला फिल्ममेकर्स की भी एक लंबी फेहरिस्त है हमारे सामने है. अच्छी बात ये है कि महिलाएं सिर्फ महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर ही नहीं, समाज की नब्ज पकड़ने वाले हर एक मुद्दे को मुखरता से फिल्मों के जरिए दिखा रही हैं. जाहिर है ये बॉलीवुड की कहानी का नया अध्याय है और बहुत खूबसूरत भी-
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली मीरा भारतीय समाज में गहरे तक पैठी हुई खोखली मान्यताओं पर फिल्म बनाने के लिए जानी जाती हैं. उनकी फिल्में द नेमसेक, मॉनसून वेडिंग और सलाम बॉम्बे आज भी एक जरूरी फिल्म के तौर पर देखी जाती हैं. उनकी ये फिल्में बाफ्टा और गोल्डन ग्लोब जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स के लिए भी नामित हो चुकी हैं.
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फिल्म एक्ट्रेस राखी और मशहूर लेखक व निर्देशक गुलजार की बेटी मेघना गुलजार एक जानी-मानी फिल्ममेकर हैं वह हमेशा से ही संवेदनशील मुद्दों को अपनी फिल्मों में जगह देती रही हैं. साल 2002 में रिलीज हुई उनकी फिल्म फिलहाल में सरोगेसी जैसे बोल्ड मुद्दे को दिखाया गया था. इसके अलावा उन्होंने इरफान खान स्टारर तलवार का भी निर्देशन किया है, जो 2008 में नोएडा के आरुषि हत्याकांड पर आधारित थी. 2018 में आलिया भट्ट के साथ उनकी फिल्म राजी को खूब सराहा गया था. इसके बाद साल 2020 में वो दीपिका पादुकोण के साथ लेकर आईं फिल्म छपाक. ये फिल्म महिलाओं पर किए जाने वाले एसिड अटैक के मुद्दे पर आधारित है.
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जोया अख्तर की फिल्मों में एक नयापन भी होता है और वो खास बात भी, जिसकी वजह से फिल्म देखना जरूरी हो जाता है. जोया ने साल 2009 में लक बाय चांस से निर्देशन में अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म में उनके भाई फरहान अख्तर नजर आए थे. इसके बाद वो साल 2011 में लेकर आईं जिंदगी ना मिलेगी दोबारा. इसमें भी ऋतिक रोशन और अभय देओल के साथ फरहान अख्तर नजर आए थे. साल 2014 में उन्होंने दिल धड़कने दो जैसी फिल्म बनाई. कुछ साल पहले रणवीर और आलिया के साथ वो गली बॉय लेकर आईं, जिसके बाद वह फिल्म इंडस्ट्री के टॉप डायरेक्टर्स में शामिल हो चुकी हैं. अब दर्शकों को बेसब्री से उनकी अगली फिल्म का इंतजार है.
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गौरी शिंदे का अनोखा अंदाज लोगों को इतना पसंद आया कि वह पहली ही फिल्म से हिट हो गईं. गौरी ने साल 2012 में अपनी पहली ही फिल्म इंग्लिश विंग्लिश से अपनी खास पहचान बना ली थी. इस फिल्म के साथ ही श्रीदेवी ने लंबे अरसे बाद फिल्मी पर्दे पर कदम रखा था. इसके बाद उन्होंने साल 2016 में डियर जिंदगी नाम की संवेदनशील फिल्म बनाई, जिसमें आलिया भट्ट और शाहरुख खान ने लीड भूमिका निभाई. यह फिल्म भी दर्शकों को खूब पसंद आई थी.
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कनाडा में रहने के बावजूद सन् 1976 से दीपा मेहता फिल्म और डॉक्यूमेंट्रीज का निर्देशन करते हुए फिल्में बना रही हैं. उनकी ज्यादातर फिल्में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों से जुड़ी होती हैं. उन्हें अपनी एलीमेंट ट्रायलॉजी फायर, अर्थ और वाटर को लेकर हुए विवादों की वजह से कंट्रोवर्शियल डायरेक्टर के रूप में भी जाना जाता है. उन पर कई बार विपरीत विचारधारा के लोगों द्वारा हमले भी किए जा चुके हैं. फिर भी निडरता से दीपा मेहता ऐसे मुद्दे उठाती रही हैं, जिन पर बात करने से भी लोग डरते हैं. उनकी फिल्मों में समलैंगिकता, पितृसत्ता, विधवाओं की परेशानियों जैसे लीक से हटकर कई मुद्दों को दिखाया गया है. उन्होंने अपनी फिल्मों से दुनिया भर में कई अवॉर्ड्स भी जीते हैं.
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साल 2021 में अगर किसी डॉक्यूमेंट्री की चर्चा जरूरी है, तो उस लिस्ट में लीना यादव की हाउस ऑफ सीक्रेट्स - द बुराड़ी डेथ्स का नाम जरूर शामिल होगा। इसी के साथ इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली लीना यादव नाम भी उन महिला फिल्ममेकर्स की लिस्ट में शुमार किया जाना जरूरी हो जाता है, जो लीक से हटकर काम कर रही हैं। टेलीविजन इंडस्ट्री से शुरुआत करके फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाली लीना यादव ने अपने अलग कंटेंट के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी पहली इंटरनेशनल फीचर फिल्म थी पार्च्ड। साल 2015 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर किया गया था। इसके अलावा वह तीन पत्ती और राजमा चावल जैसी फिल्में भी बना चुकी हैं।