डीएनए हिंदी: दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) को भारतीय सिनेमा का प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है. ये अवॉर्ड भारत सरकार की ओर से दिया जाता है पर लोग ये जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आखिर दादा साहेब फाल्के (About Dadasaheb Phalke) हैं कौन. आज भारतीय सिनेमा के जनक और पितामाह कहलाने वाले दादा साहेब फाल्के की पुण्यतिथी है. 1870 को जन्में दादा साहेब ने 16 फरवरी 1944 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. इस मौके पर हम आपको उनके योगदान के बारे में बताते हैं.
दादासाहेब फाल्के का असली नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के था. वो दादा साहेब ही थे जिन्होंने भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' का निर्माण किया था. ये बात है साल 1910 की जब अमेरिका-इंडिया पिक्चर पैलेस में 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट' फिल्म दिखाई गई थी जिसे धुंडीराज गोविंद फाल्के भी देखने पहुंचे थे. यहीं पर दादा साहेब ने भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म बनाने का सपना देखा था. हालांकि तब उनके पास ना तो पैसे थे, ना कलाकार, ना तकनीकि उपकरण और ना ही इन सबके लिए कोई इनवेस्टर. तब फिल्मों पर पैसे लगाने को लेकर कोई आगे भी नहीं आना चाहता था. ऐसे में दादा साहेब का सफर मुश्किल तो थी पर उन्होंने हार नहीं मानी और नामुमकिन काम को मुमकिन बना डाला.
इस साल बनी थी भारत की पहली फिल्म
तमाम मुश्किलों के बाद दादासाहेब फाल्के ने 1913 में पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी. इस फिल्म का नाम रखा गया 'राजा हरिशचंद्र'. इसे बनाने में उन्हें करीब 6 महीने का वक्त लगा था. इसके बाद सिलसिला नहीं रुका और उन्होंने 19 साल के फिल्मी करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाईं.
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पहली फिल्म में सब कुछ थे दादा साहेब
दादा साहेब 'राजा हरिशचंद्र' के निर्माता, निर्देशक, लेखक, कॉस्ट्यूम डिजाइनर, लाइटमैन थे. और तो और उन्होंने ने ही कैमारा संभाला था. कुल मिलाकर इस फिल्म के सब कुछ वो ही थे. इसे कोरोनेशन सिनेमा बॉम्बे में रिलीज किया गया था.
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दादासाहेब फाल्के पुरस्कार 2023: पहली फिल्म बनाने से लेकर महिलाओं को काम देने तक, भारतीय सिनेमा के पितामाह हैं दादासाहेब