डीएनए हिंदी : फिल्मों के महानायक की पहचान बना चुके अमिताभ बच्चन इस साल 81 बरस के हो गए. सात हिंदुस्तानी से शुरू हुआ उनका डगमगाता सफर बाद के दिनों में इतने सधे कदमों से चला कि उनकी शोहरत सात समंदर पार कर चुकी. उनके प्रशंसक अमिताभ की उपलब्धि के रूप में आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके-चुपके, दीवार, शोले, कभी-कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, पीकू जैसी लाजवाब फिल्में याद करते हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि अमिताभ बच्चन अपनी किस फिल्म को शिद्दत से याद करते हैं. हालांकि यह फिल्म पूरी नहीं बन सकी. इलाहाबाद में कुछ रील की शूटिंग होने के बाद डब्बे में बंद हो गई थी. यह फिल्म धर्मवीर भारती के उपन्यास 'गुनाहों के देवता' पर बन रही थी. नाम था 'एक था चंदर एक थी सुधा'. फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया भादुड़ी (अब बच्चन) और रेखा कास्ट किए गए थे. इसका निर्देशन शायद ख्यातिलब्ध निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी कर रहे थे.
अधूरी फिल्म याद आती है बिग बी को
यह सच है कि 'एक था चंदर एक थी सुधा' फिल्म अधूरी रह गई, लेकिन इसके नायक-नायिका ने जिंदगी की पटरी पर साथ-साथ चलने का फैसला इसी फिल्म के दौरान कर लिया था. जी हां, अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी के बीच इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान प्यार पनपा और फिल्म 'जंजीर' की कामयाबी के साथ ही अमिताभ और जया शादी की जंजीर में बंध गए. शादी के बाद जया ने अपने नाम से 'भादुड़ी' हटाकर 'बच्चन' कर लिया. यही वह बात है कि अपने प्यार के पनपने की वजह वाली फिल्म के बंद हो जाने की टीस अमिताभ और जया के भीतर आज तक है.
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यह कहा था अमिताभ बच्चन ने
तकरीबन 8-9 साल पहले बांद्रा की साहित्य सहवास सोसाइटी के पास बने चौक का अनावरण करने गए थे बिग बी. इस चौक का नाम धर्मवीर भारती के नाम पर कि गया है. उस वक्त बिग बी ने अपनी यह टीस उजागर की थी. उन्होंने 'एक था चंदर एक थी सुधा' को याद किया था. तब उन्होंने कहा था, 'तब लोगों को जया के बारे में ज्यादा पता था, वह मुझसे बड़ी स्टार बन चुकी थीं, उतनी बड़ी तो नहीं, लेकिन हां कुछ लोग उन्हें जानने लगे थे और मुझे तो कोई भी नहीं जानता था. फिल्म की 7-8 रील भी शूट हो गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से फिल्म बन न सकी. ये फिल्म न बन पाने का हम दोनों अब भी अफसोस.'
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फिल्म के बंद होने की वजह
आज से बीस-पच्चीस बरस पहले प्रभात खबर के रांची स्थित कार्यालय में धर्मवीर भारती की पत्नी पुष्पा भारती का आना हुआ था. तब उन्होंने संपादक हरिवंश (फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति) की मौजूदगी में बताया था कि इलाबाद में उनके घर के पास के चौराहे का नाम 'धर्मवीर भारती चौक' रखे जाने का प्रस्ताव है. इस चौराहे पर भारती जी की एक कविता लिखी जाएगी 'कह दो उनसे/जो खड़े हैं बाहर/कीमत चाहे शोहरत हो या पैसा/हर भूखा आदमी/बिकाऊ नहीं होता'. यह कविता पूरी तरह से धर्मवीर भारती का मिजाज बतलाती है. कहते हैं कि 'एक था चंदर एक थी सुधा' के निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी पटकथा में कुछ चेंज चाहते थे, लेकिन धर्मवीर भारती इसके लिए राजी नहीं थे. दोनों अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहे और फिल्म डब्बे में बंद हो गई.
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