डीएनए हिंदी: फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. फिल्म को बैन करने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. कई लोग और संगठन फिल्म के डायरेक्शन से लेकर इसके डायलॉग (Adipurush Dialogues) तक पर सवाल उठा रहे हैं. विवाद में फंसने के बाद मेकर्स ने डायलॉग्स तो बदल दिए पर फिर भी कोर्ट में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. इसी बीच फिल्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध (Adipurush Ban) लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दो अर्जियां दाखिल की गई थीं जिनपर आज सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने जमकर मेकर्स और सेंसर बोर्ड को लताड़ लगाई है.
फिल्म आदिपुरुष रिलीज होने से पहले ही कानूनी पचड़े में फंस गई थी पर रिलीज के बाज को इसके लिए मुसीबत और बढ़ गई. बीते दिनों हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर याचिका में इस फिल्म में श्री राम की कहानी को बदलकर निम्न स्तर का दिखाने का आरोप लगाया गया था. याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी ने ये दोनों अर्जियां मामले में विचाराधीन जनहित याचिका में दायर कर फिल्म में संशोधन करने और राइटर मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया था.
इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई हुई. खबरों की मानें तो याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी ने बयान में कहा है कि कोर्ट ने कहा कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है. आगे आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो. सेंसर बोर्ड क्यों अपनी जिम्मेदारी नहीं समझता. कोर्ट में आगे कहा गया कि रामायण ही नहीं बाकी धार्मिक ग्रंथों को भी बख्श दिया जाए. यही नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिल्म के मेकर्स के शामिल ना होने पर लताड़ लगाई. 27 जून को मामले की अगली सुनवाई होगी.
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बता दें कि फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग से लेकर उसकी कहानी और किरदारों का जमकर विरोध किया जा रहा है. फिल्म पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया है जिसके कारण मनोज मुंतशिर को इसके डायलॉग तक बदलने पड़े हैं. वहीं कमाई के मामले में फिल्म के हालात सुधरते हुए नहीं दिख रहे हैं. इसके कलेक्शन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.
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'धार्मिक ग्रंथों को बख्शें दें, बाकी जो करना हो करें', आदिपुरुष के मेकर्स को हाई कोर्ट ने जमकर लगाई लताड़