डीएनए हिंदी : पाकिस्तानी अभिनेता फैसल कुरैशी ने एक लोकल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय फिल्मों को उनके देश में रिलीज किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में थिएटर केवल तभी जीवित रह सकते हैं और बढ़ सकते हैं जब वे भारतीय फिल्में रिलीज करेंगे. फैसल कहते हैं कि अगर भारतीय फिल्मों के रिलीज पर लगा प्रतिबंध पाकिस्तान हटा लेता है तो वहां का मनोरंजन उद्योग सालाना लगभग 6000 से 7000 मिलियन रुपये कमाएगा.
बता दें कि पिछले कुछ साल से भारत और पाकिस्तान की फिल्में एक-दूसरे के देश में प्रदर्शित नहीं की जा रही हैं. दरअसल, अगस्त 2019 में भारत के केंद्र की बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद ही पाकिस्तान ने भारतीय फिल्मों के पाकिस्तान में रिलीज बैन कर दिया. इस तल्ख होते रिश्ते का असर यह रहा है कि भारत ने भी पाकिस्तानी फिल्मों के रिलीज पर रोक लगा दी. हालांकि भारत में 2022 में यह बैन खत्म कर दिया गया है. बावजूद एक भी पाकिस्तानी फिल्म यहां रिलीज नहीं की गई है.
हास्यास्पद फैसला
फैसल का कहना है कि जहां उन्हें अपनी सामग्री में सुधार करने की जरूरत है, वहीं पाकिस्तान को भी भारतीय फिल्मों पर से प्रतिबंध हटाने की जरूरत है. क्योंकि 'हमारे राजस्व के रास्ते बंद करना हास्यास्पद है.' फैसल को मुख्य रूप से 'टोबा टेक सिंह', 'इश्क इबादत', 'बाबा जानी' जैसे टेलीविजन शो में उनके काम के लिए जाना जाता है. वह एक अभिनेता होने के अलावा निर्माता और टेलीविजन होस्ट भी हैं.
बैन का असर
यह तय बात है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के मुकाबले बहुत बड़ी है. भारतीय फिल्मों की कमाई का मुकाबला पाकिस्तानी फिल्में नहीं कर पातीं. आलम यह है कि पाकिस्तान में वहां बनी फिल्मों के मुकाबले बॉलीवुड फिल्मों का जलवा है. पाकिस्तानी सरकार अपने यहां बनी फिल्मों से आए टैक्स से जितनी कमाई करती है, उससे ज्यादा उसकी कमाई बॉलीवुड की फिल्मों से होता है. जाहिर तौर पर बॉलीवुड की फिल्में बैन किए जाने का आर्थिक असर पाकिस्तान पर ही पड़ना है, भारत की सेहत पर इसका असर बहुत मामूली है. भारतीय फिल्मों से होने वाली सॉलिड आय को लेकर पाकिस्तानी अभिनेता ने साफ तौर पर कहा कि अगर पाकिस्तान में इंडियन फिल्मों पर कोई रोक नहीं होती तो हमारे यहां की फिल्म इंडस्ट्री हर साल 600 से 700 करोड़ पाकिस्तानी रुपए के बीच कमाई करती.
2019 में पाकिस्तानी फिल्में
खबरें बताती हैं कि 2019 में पाकिस्तान में सिर्फ 22 उर्दू फिल्में बनीं. इन सभी फिल्मों से महज 150 करोड़ रुपये का कारोबार हो सका. कोई भी फिल्म लंबे समय तक सिनेमाघरों में टिकी नहीं रह सकी. दर्शकों को लुभाने के लिए वहां के सिनेमाघरों ने टिकट पर 50 प्रतिशत का डिस्काउंट तक दिया. लेकिन पाकिस्तानी दर्शकों अपने देश में बनी फिल्मों को नकार दिया.
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पाकिस्ताी बैन का भारत पर असर
एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्मों से 4 से 7 करोड़ रुपए का मुनाफा होता है. जाहिर है यह राशि पाकिस्तानी सिनेमाघरों के लिए बड़ी रकम है, लेकिन अगर इस रकम को भारत के संदर्भ में देखें तो ऊंट के मुंह में जीरा है. भारतीय फिल्मों के रेवेन्यू कलेक्शन में पाकिस्तान का योगदान महज 3 से 5 प्रतिशत तक ही होता है. इसलिए जाहिर तौर पर पाकिस्तान सरकार का अपने यहां भारतीय फिल्मों का बैन करना अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, इससे भारतीय सिनेमाघरों या फिल्म इंडस्ट्री की सेहत पर कोई ऐसा फर्क नहीं पड़ना है जिसे अंडरलाइन किया जाए. लेकिन यह रेखांकित करने वाली बात है कि पाकिस्तानी इंटरटेनमेंट और फिल्म इंडस्ट्री के लिए भारतीय फिल्में ईंधन का काम करती हैं.
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पहले भी लगा है बैन
पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध का एक लंबा दौर 1965 से 2005 तक चला था. इस अवधि के बीच हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बढ़ती चली गई और पाकिस्तानी इंडस्ट्री कंगाली की राह पर बढ़ गया. एक आंकड़े के मुताबिक बैन लगने से पहले तक पाकिस्तान में सिनेमा के कुल रेवेन्यू का 70 फीसदी हिस्सा भारतीय फिल्मों से आता था.
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भारतीय फिल्मों के बिना डूब रही है पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री, फैसल कुरैशी ने कह दी ये बड़ी बात