डीएनए हिंदी: बॉलीवुड के पहले स्टार कहे जाने वाले 'काका' उर्फ राजेश खन्ना का आज 80वां जन्मदिन (Rajesh Khanna 80th Birth Anniversary) हैं. 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे (Rajesh Khanna Birthday) राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था. राजेश खन्ना कॉलेज के दिनों से ही थिएटर किया करते थे उन्होंने कई नाटक किए. 1966 में फिल्म 'आखिरी खत' से सिनेमा में अपने कदम रखने वाले 'काका' ने अपने करियर में 180 फिल्मों मे काम किया. दुर्भाग्यवश 18 जुलाई 2012 को कैंसर के कारण उनका निधन हो गया लेकिन उनके कई फिल्मी डायलॉग (Rajesh Khanna dialogues) ने उनके निधन के बाद भी लोगों के बीच उनको जिंदा रखा हुआ है. चलिए आज फिर से एक 'काका' के सदाबहार डायलॉग्स पर एक नजर डालते हैं .
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'बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए... लंबी नहीं', भारतीय सिनेमा में बनी किसी भी फिल्म के डायलॉग से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है यह डायलॉग. इस डायलॉग (Rajesh Khanna Famous Dialogue) में पूरे जीवन का फलसफा लिखा है जो हम सबको बताता है कि जीवन कैसे जिया जाना चाहिए.
ये डायलॉग 1971 की ब्लॉकबस्टर हिट 'आनंद' फिल्म से हैं. ये डायलॉग राजेश खन्ना फिल्म में अमिताभ बच्चन से अपनी बातचीत में कहते हैं. इस बातचीत (संवाद) को मशहूर कवि 'गुलजार' ने लिखा है. इसके लिए गुलजार साहब बेस्ट डायलॉग का फिल्मफेयर पुरस्कार' भी मिला.
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'काका' के यादगार डायलॉग्स में से एक, '2. पुष्पा, मुझसे ये आंसू नहीं देखे जाते...आई हेट टीयर्स', 1972 के रिकॉर्ड ब्रेकिंग फिल्म 'अमर प्रेम' से है जिसमें दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने मुख्य भूमिका निभाई थी. यह डायलॉग आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है. इस डायलॉग को स्क्रीन राइटर 'रमेश पंत' ने लिखा था. इसके लिए उन्हें बेस्ट डायलॉग फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था.
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'लोग जिंदगी का सबसे छोटा, सबसे कीमती लफ्ज़ भूल गए हैं...प्यार', ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म 'बावर्ची का यह डायलॉग जीवन में प्यार खोजने और उसे लोगों के बीच बांटने पर जोर देता है. इस डायलॉग की वजह से राजेश खन्ना को बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने हिंदी भाषा में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड देकर उन्हें सम्मानित किया था.
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'मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता' ये डायलॉग साल 1970 की भारतीय हिंदी रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'सफर' का है. यह फिल्म 70 के दशक में भारत में साल की दसवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. इतना ही नहीं इस फिल्म ने इस शानदार डायलॉग के अलावा ने भारतीय सिनेमा को सदाबहार गाना भी 'जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर, कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं' भी दिया जिसे महान गायक किशोर कुमार ने गाया था.
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'बड़ा आदमी तो वो होता है जो दूसरों को छोटा नहीं समझता', मोहन कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म 'अवतार' में राजेश खन्ना का ये डायलॉग काफी मशहूर रहा. 1983 की इस फिल्म में एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने राजेश खन्ना (rajesh Khanna birthday) के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी. अवतार फिल्म एक कमर्शियल हिट थी और रिपोर्ट्स के मुताबिक 1973 के बाद से बॉक्स ऑफिस क्लेक्शन के मामले में राजेश खन्ना (rajesh Khanna dialogues) की ये सबसे बड़ी फिल्म थी.
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'इंसान को दिल दे, जिस्म दे, दिमाग दे लेकिन ये कम्बख्त पेट मत दे' ये डायलॉग 1974 में आई फिल्म रोटी का है जिसे मशहूर अभिनेता और लेखक कादर खान ने लिखा था. फिल्म रोटी का ये डायलॉग गरीबों को मुश्किल से नसीब होने वाली एक वक्त की रोटी के दर्द को बयां करती है. कभी-कभी तो वो एक रोटी भी नसीब नहीं हो पाती. राजेश खन्ना ने जिस इमोशन के साथ इस डायलॉग को बोला था, शायद ही कोई और एक्टर उस दर्द को बयां कर पाता.
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'मौत तो एक पल है' ये 1971 की फिल्म 'आनंद' जो आज भी दिल को छू लेने वाले डायलॉग्स के लिए जानी जाती है ने बॉलीवुड (rajesh khanna films) को 'मौत बस एक पल' जैसा शानदार डायलॉग दिया, जिसे आनंद की भूमिका निभाने वाले राजेश खन्ना ने बोला था. राजेश खन्ना को इस फिल्म में लिम्फोसारकोमा नाम का कैंसर होता है. आनंद को इस सच्चाई पता होने के बावजूद कि वो 6 महीने से ज्यादा नहीं जी पाएगा, वो सबसे हंसकर बातें करता है जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो और हमेशा अपने आस-पास के सभी लोगों को खुश करने की कोशिश करता है.
दिग्गज एक्टर राजेश खन्ना को गुजरे आज 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं. दुनियाभर में उनके फैंस आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी (rajesh khanna birthday) पर फेसबुक, ट्विटर, इंटाग्राम, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर दिवंगत अभिनेता की फोटो, वीडियो आदि लगाकर उनके प्रति अपना प्यार जता रहें हैं साथ ही उन्हें याद भी कर रहे हैं.
Short Title
Rajesh Khanna Birthday: काका के वो डायलॉग जो आज भी हैं लोगों के दिलों में जिंदा