बॉलीवुड फिल्मों में 70 और 80 का दशक डाकुओं के अलग-अलग किरदारों के लिए काफी मशहूर था. ज्यादातर फिल्मों में विनोद खन्ना, सुनील दत्त और धर्मेंद्र जैसे एक्टर डाकुओं के रोल में काफी हिट साबित हुए. कुछ बेहतरीन भारतीय फिल्में जिनमें डकैतों को प्रमुख के रूप में दिखाया गया है, उनके बारे में हम आपको इस स्लाइड में बताने वाले हैं.
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इस लिस्ट में पहला नाम फिल्म शोले के गब्बर सिंह का है. गब्बर सिंह के किरदार में अमजद काफी मशहूर हुए थे. उनके डायलॉग प्रोजेक्शन को आज भी याद किया जाता है. चंबल के डाकियों के एक गिरोह का सरदार गब्बर सिंह, हमेशा से लोगों के बीच पसंद किया जाता है. अपनी शानदार एक्टिंग की बदौलत गब्बर सिंह के किरदार को अमजद खान ने अमर कर दिया था.
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फिल्म मेरा गांव मेरा देश एक ऐसी फिल्म थी जिसकी कहानी डाकुओं के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म में विनोद खन्ना और धर्मेंद्र के साथ प्रमुख भूमिकाओं में आशा पारेख भी लीड रोल में थीं. रोमांटिक एक्शन ड्रामा फिल्म ने एक ऐसे कैदी अजीत (धर्मेंद्र) की कहानी है, जो अपनी सजा के बाद सादा जीवन जीने के लिए अपने गांव वापस आता है. हालांकि, उसे पता चलता है कि एक डकैत (विनोद खन्ना) है जो लोगों को परेशान कर रहा है. अजीत अब अपने प्यार और गांव वालों को डकैत के आतंक से बचाने के लिए प्रण लेता है. फिल्म में विनोद खन्ना के किरदार को काफी सराहा गया. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के गाने को काफी पसंद किया जाता है.
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फिल्म पत्थर और पायल ने एक बार फिर धर्मेंद्र और विनोद खन्ना की जोड़ी नजर आई थी. एक बार फिर डकैतों की भूमिका में नजर आए इन किरदारों ने भाइयों की भूमिका निभाई. अपने माता-पिता की मौत के बदले की आग ने दोनों भाइयों को डकैत बना दिया. हालांकि, डकैत के रूप में विनोद खन्ना विलेन में बदल जाते हैं जबकि धर्मेंद्र पूरी फिल्म में पॉजिटिव कैरेक्टर में रहे हैं. कल्याणजी-आनंदजी की तरफ से फिल्म को सुरों से सयाजा गया, जो बाद में इसकी सक्सेस का कारण बना.
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फिल्म मुझे जीने दो के जरिए सुनील दत्त डाकू जरनैल सिंह के किरदार में नजर आए. जरनैल सिंह, जो सादगी भरा जीवन जीना चाहता था लेकिन उसके अतीत ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. उसने एक वेश्या से शादी की और पिता बन गया और अपने परिवार को पुलिस से बचाने के लिए दूसरे गांव में चला गया. लेकिन गांव वालों की जरनैल से पुरानी दुश्मनी थी, फिल्म में शानदार एक्शन है और इसमें साहिर लुधियानवी की सुंदर धुनों से सजाया गया है. हालांकि, सुनील दत्त फिल्म रेशमा और शेरा में भी नजर आए थे, इस फिल्म को उन्होंने प्रोड्यूस किया था. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप रही.
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अपने करियर की शुरुआत में ही सनी देओल ने फिल्म डकैत में एक डकैत की भूमिका निभाई. इस फिल्म ने सनी देओल को 90 के दशक के सुपरस्टार के तौर पर स्थापित किया. फिल्म डकैत में सनी देओल की फैमिली को एक स्थानीय जमींदार बार-बार प्रताड़ित करता है, और आखिर में सनी देओल की फैमिली को मौत के घाट उतार दिया जाता है. बदले की आग में सनी देओल का किरदार डकैत बन जाता है. फिल्म का निर्देशन राहुल रवैल ने किया था.
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1994 में बनी बैंडिट क्वीन सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाली हिंदी फिल्मों में से एक है. यह फिल्म फूलन देवी नाम की एक दलित लड़की की कहानी बताती है, जिसे अपनी जिंदगी जीने में काफी संघर्ष करना पड़ा. लगातार मिल रही योजनाओं के खिलाफ वह लड़की डकैत बन जाती है फिर गिरोह का सरगना भी हो जाती है. फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसमें सीमा बिस्वास ने लीड रोल निभाया था. फिल्म शेखर कपूर की तरफ से डायरेक्ट की गई थी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया.
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इरफान खान ने हर तरह की फिल्मों में अपनी एक्टिंग से लोगों की तारीफें लूटीं. मगर पान सिंह तोमर ने एक बागी के रूप में उनकी एक्टिंग कभी भुलाई नहीं जा सकती. पान सिंह तोमर फिल्म एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट की कहानी बताती है, जो भारतीय कानून-व्यवस्था विफल होने पर वह डकैत बन जाता है. तिग्मांशु धूलिया की फिल्म को 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला और इसे 2012 की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक के रूप में सम्मानित किया गया. पान सिंह तोमर अब तक की सर्वश्रेष्ठ बॉलीवुड बायोपिक फिल्मों में से एक है.