डीएनए हिंदी: Mission Majnu Review: 'जंग हथियारों से नहीं, इंटेलिजेंस से जीती जाती है.' बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) की फिल्म 'मिशन मजनू' की शुरुआत इन्हीं लाइंस से होती है. 26 जनवरी से पहले सच्ची घटनाओं पर आधारित निर्देशक शांतनु बागची की ये फिल्म आखिरकार नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा भारतीय जासूस बने हैं. वे पाकिस्तान जाते हैं और वहां जाकर उनकी एक लड़की से शादी हो जाती है. यह सब देखते हुए ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही 'मिशन मजनू' की तुलना साल 2018 में आई आलिया भट्ट (Alia Bhatt) की फिल्म 'राजी' (Raazi) से की जा रही थी. आपको बता दें कि राजी ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे गाड़ दिए थे. ऐसे में मिशन मजनू की कहानी व्यूअर्स को कहां तक पसंद आ पाई, आइए जानते हैं-
क्या है कहानी?
जैसा की नाम से ही साफ है फिल्म में हीरो एक मिशन पर निकला है और मिशन क्या है ये फिल्म के ट्रेलर से साफ हो चुका है. 1971 का युद्ध हारने के बाद पाकिस्तान न्यूक्लियर बम बना रहा है और हिंदुस्तान को किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देना है. ऐसे में कहानी का हीरो अपनी जान जोखिम में डालकर पड़ोसी मुल्क के इस मिशन को नाकाम करने के लिए निकल पड़ता है. इसी कड़ी में भारतीय जासूस अमनदीप अजीतपाल सिंह 'तारिक' (सिद्धार्थ मल्होत्रा) बनकर पाकिस्तान पहुंच जाता है. यहां पहुंचकर वो एक नेत्रहीन लडकी 'नसरीन' (रश्मिका मंदाना) से शादी कर लेता है. बता दें कि इस मिशन से पहले पंजाब में अमनदीप को देशद्रोही का बेटा का बुलाया जाता है और वो हर हाल में अपनी मां के नाम से यह दाग मिटाना चाहता है.
खैर, तारिक की पत्नी नसरीन को उनके इस मिशन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इधर, भारत में भी सरकार बदल जाती है जो पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को बदलना चाहती है. हालांकि, रॉ प्रमुख अभी भी अमनदीप के साथ अपने इस मिशन को जारी रखते हैं. ऐसे में ये मिशन कैसे पूरा होता है और क्या 'राजी' की तरह इस फिल्म में भी नसरीन की प्रेम कहानी अधूरी रह जाती है? इन सब सवालों का जवाब पाने के लिए आपको नेटफ्लिक्स पर ये फिल्म देखनी होगी.
कैसी है एक्टिंग?
बात अगर एक्टिंग की करें तो 'शेरशाह' के बाद इस फिल्म में भी सिड अपने फैंस को इंप्रेस करने में कामयाब रहे. एक दर्जी और एजेंट के रोल में सिद्धार्थ बिल्कुल फिट हैं. दूसरी ओर साउथ एक्ट्रेस रश्मिका ने भी नेत्रहीन लड़की के किरदार में जान फूंक दी.
डायरेक्शन
हालांकि, शांतनु बागची के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म कहानी में मात खाती नजर आई. सच्ची घटनाओं के आधार पर बुनी गई इस कहानी पर रोमांच की कमी खलती है. बॉलीवुड में इससे पहले भी देशभक्ति और जासूसी पर कई फिल्में बन चुकी हैं और हिट भी साबित हुईं. यही वजह है कि फैंस को इस फिल्म से भी काफी उम्मीदें थीं. हालांकि, इन उम्मीदों से उलट मिशन मजनू में थ्रिलर की कमी देखने को मिली जबकि जासूसी पर आधारित फिल्मों में थ्रिल्स ही हमेशा अहम कड़ी रही है. बीच-बीच में फिल्म की कहानी कहीं-कहीं फिकी पड़ती भी नजर आई. कुछ ज्यादा नया ना मिलना भी दर्शकों को निराश कर सकता है. हालांकि, इन सब से अलग मिशन मजनू में एक्टर्स की परफॉर्मेंस इसका प्लस प्वाइंट है.
कॉमेडी से लेकर एक्शन और इमोशन तक में सिद्धार्थ परफेक्ट हैं. इसके अलावा कुमुद मिश्रा भी एजेंट के किरदार में हैं और उनकी एक्टिंग भी जबरदस्त है. शारिब हाशमी ने भी शानदार एक्टिंग की है. फिल्म को सबसे बड़ा फायदा 26 जनवरी के आसपास रिलीज होने का मिल सकता है. फिल्म का म्यूजिक अच्छा है. 'रब्बा जानदा' और 'माटी को मां कहते हैं' गाने आते ही दिल को छू जाते हैं.
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क्यों देखें?
देशभक्ति पर आधारित सिद्धार्थ की यह दूसरी फिल्म है. शेरशाह की तरह ही मिशन मजनू में भी एक्टर की परफॉर्मेंस आपको निराश नहीं करेगी. उन्होंने एक्शन के साथ-साथ इमोशन को भी परफेक्टली अपने किरदार के साथ ब्लेंड किया है. ऐसे में मिशन मजनू को एक मौका जरूर दिया जा सकता है.
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