यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक माना जाता है. हर साल लाखों उम्मीदवार यह परीक्षा देते हैं लेकिन कुछ हजार ही इसमें सफल हो पाते हैं.
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कुछ उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करके आईएएस-आईपीएस भी बन जाते हैं लेकिन सफल होने के बाद परेशानियां उनका पीछा नहीं छोड़ती. बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.
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संजीव हंस 1997 बैच के आईएएस अफसर हैं और मूल रूप से पंजाब से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता एक पीसीएस रैंक के अधिकारी थे और अपने पिता को देखकर ही उनके मन में अधिकारी बनने का सपना जागा.संजीव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए और इसे क्रैक करके आईएएस अधिकारी भी बन गए.
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ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उनकी नियुक्ति सबसे पहले बिहार के बांका जिले में एसडीएम के पद पर हुई. वह बिहार के कई जिलों में कलेक्टर के पद पर पोस्टेड हो चुके हैं और बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के सेक्रेटरी, सीएमडी के पद पर भी काम किया है.
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हालांकि फिलहाल वह आय से अधिक संपत्ति और घूस लेने के आरोपों से जूझ रहे हैं. ईडी की छापेमारी में उनके और उनके करीबियों के पास करोड़ों का सोना, 87 लाख नकद और लाखों की चांदी बरामद हुई है.
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उन्हें लेकर कई और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक BSPHCL के सीएमडी पद पर होते हुए उन्होंने मीटर लगाने वाली कंपनी से मर्सिडीज घूस में ली थी. इतना ही नहीं एक महिला ने उनपर आरोप लगाया है कि अपने अवैध रिश्ते को छिपाने के लिए वह उसे हर महीने दो लाख रुपये देते थे.
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अधिकारी पिता से प्रेरणा लेकर बने IAS, अब इस वजह से मुश्किल में फंसे संजीव हंस