मंगेश खिलाड़ी यूपीएससी परीक्षा के इतिहास में दृढ़ता और दृढ़ संकल्प प्रतीक हैं. चाय की दुकान चलाने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंगेश खिलाड़ी की यूपीएससी की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है.
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गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंगेश खिलाड़ी की आर्थिक पृष्ठभूमि अच्छी नहीं थी. उनका परिवार शहर में छोटी सी चाय की दुकान चलाता था और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. इन बाधाओं के बावजूद मंगेश के माता-पिता ने उन्हें कड़ी मेहनत के मूल्यों और बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा के महत्व के बारे में बताया. उनकी सीख मंगेश की सफलता की प्रेरणा का आधार बन गई.
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शुरुआत में मंगेश को सीमित संसाधनों के कारण अपनी शिक्षा जारी रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वे अक्सर सार्वजनिक पुस्तकालयों और फ्री स्टडी मैटेरियल का इस्तेमाल करते थे. मंगेश के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें एक स्थानीय आईएएस अधिकारी के बारे में पता चला, जिनकी पृष्ठभूमि भी उनके जैसी ही थी.
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इस कहानी ने उनके भीतर एक आग जला दी, जिससे सिविल सेवा में जाने की उनकी महत्वाकांक्षा को बढ़ावा मिला. इन अधिकारी की उपलब्धियों से प्रेरित होकर, मंगेश ने यूपीएससी की परीक्षा को पास करने का संकल्प लिया. सेल्फ स्टडी के साथ वह परिवार की चाय की दुकान पर भी अपनी जिम्मेदारियों को संभालने लगे.
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मंगेश अक्सर मिट्टी के तेल के दीपक की मंद रोशनी में देर रात तक पढ़ाई करते थे. उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने आखिरकार रंग दिखाया और उन्हें अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 396वीं रैंक हासिल हुई. इसके पहले के दोनों अटेम्प्ट में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे थे. इस उपलब्धि ने न केवल उनके जीवन को बदल दिया, बल्कि उनके जैसे लोगों के लिए वह प्रेरणास्रोत भी बन गए.
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मंगेश की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठ सकता है और धैर्य, दृढ़ संकल्प और शिक्षा तक पहुंच के माध्यम से अपनी मंजिल हासिल कर सकता है. उनकी यह सफलता की कहानी देशभर के लाखों युवाओं को प्रेरित करती है और इस बात पर जोर देती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता से सफलता हासिल की जा सकती है.
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चाय की दुकान चलाने वाले के बेटे ने कैसे क्रैक की UPSC? पढ़ें सफलता की कहानी