अशोक खेमका देश के तेजतर्रार आईएएस अधिकारी हैं जिनका नाम नौकरशाही में ईमानदारी और राजनीतिक टकराव का पर्याय बन गया है. वह इस हफ्ते हरियाणा के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के पद से रिटायर होने वाले हैं. उन्हें अपनी ईमानदारी की कीमत  34 साल की सेवा में 57 बार तबादले झेलकर चुकानी पड़ी थी. 1991 बैच के हरियाणा कैडर के इस अधिकारी ने ऐसी प्रतिष्ठा हासिल की है जो शायद ही कोई सिविल सेवक हासिल कर सकता है. वह राजनीतिक दबाव के आगे कभी नहीं झुके.

यह भी पढ़ें- इस स्कूल में एकसाथ पढ़ती थीं अनुष्का शर्मा और साक्षी धोनी, तस्वीरें देख याद आ जाएगा बचपन

रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील कैंसिल कर चर्चा में आए थे खेमका

अशोक खेमका की आखिरी पोस्टिंग दिसंबर 2024 में हुई थी और बुधवार को वह औपचारिक रूप से सरकारी सेवा से बाहर निकलने वाले हैं. साल 2012 में वह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रियल्टी दिग्गज डीएलएफ से जुड़े गुरुग्राम भूमि सौदे को रद्द करके चर्चा में आ गए थे. इसके बाद अक्टूबर 2012 में भूमि अधिग्रहण के चकबंदी महानिदेशक के पद पर पोस्टेड खेमका का अचानक तबादला कर दिया गया. आरोप लगे कि खेमका ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया, प्रभावित पक्षों को सुनवाई का मौका नहीं दिया और यहां तक ​​कि विवादास्पद आदेश पारित करने के लिए अपने तबादले के चार दिन बाद भी जानबूझकर पद पर बने रहे.

यह भी पढ़ें- IAS अफसर ने सोशल मीडिया पर कर दी इंग्लिश ग्रामर की गलती, लोग बोले- 'अंग्रेजी का ऐसा स्तर तो क्या उम्मीद करें'

ऑल इंडिया सर्विस रूल के उल्लंघन का लगा आरोप

सरकार ने उन पर कई ऑल इंडिया सर्विस रूल का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और सरकारी नीतियों की आलोचना सार्वजनिक रूप से करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया. अपने तबादले के एक दिन के अंदर खेमका ने चार जिलों गुड़गांव, पलवल, फरीदाबाद और मेवात के डिप्टी कमिश्नरों को यह जांच करने का आदेश दिया था कि वाड्रा की फर्म से जुड़े भूमि सौदों में स्टांप शुल्क का भुगतान ठीक से किया गया था या नहीं? सरकार ने इस कदम को असंगत बताया और दावा किया कि 2005 से 2012 के बीच हजारों भूमि सौदे हुए लेकिन खेमका ने केवल सिर्फ एक में ही गड़बड़ियां गिनाईं.

यह भी पढ़ें- ऑटोवाले की बेटी बनीं महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला IAS, UPSC में लाईं इतनी रैंक, जानें एजुकेशनल बैकग्राउंड

34 साल की सर्विस में तबादलों और कार्रवाइयों की झड़ी

इस घटना के बाद खेमका पर तबादलों और विभागीय कार्रवाइयों की झड़ी लग गई. वाड्रा-डीएलएफ प्रकरण के बाद के महीनों में खेमका को हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) में ट्रांसफर कर दिया गया. वहां भी उन्होंने कई कड़े फैसले लिए. इस बार गेहूं के बीज उपचार के लिए अनियमित फफूंदनाशक खरीद को लेकर उन्होंने कार्रवाई की. उस खुलासे के बाद 2013 में अभिलेखागार विभाग में उनका एक और ट्रांसफर  हो गया. फिर पूछताछ शुरू हुई. 

यह भी पढ़ें- दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़े हैं ये 5 एक्टर्स, आज कोई है नेशनल क्रश तो कोई अपनी एक्टिंग का मनवा रहा लोहा

सितंबर और नवंबर 2013 के बीच हरियाणा सरकार ने उन पर कई आरोप लगाए जिनमें लैंड डील रद्द करने, एचएसडीसी में कम बीज बिक्री के लिए और अन्य मूंग, खरपतवारनाशकों और यहां तक ​​कि छत की चादरों की खरीद से संबंधित शिकायतों से जुड़े मामले शामिल थे. कुछ मामलों में खेमका का नाम शिकायत में भी नहीं था लेकिन सिस्टम में उनकी मौजूदगी ने उन्हें जांच का केंद्र बना दिया. यहां तक ​​कि उनके खिलाफ चार साल पुराने कर्मचारी पदोन्नति के मुद्दे को भी फिर से उठाया गया. हर बार खेमका ने सबूत और गवाह के साथ मजबूत जवाब दिया और हर बार राज्य सरकार उनसे पूछताछ करने के लिए नए आधार ढूंढ निकालती थी.

अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकx,   इंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
Who is IAS Ashok Khemka who cancelled Robert Vadra's land deal He was transferred 57 times in 34 years of service
Short Title
कौन हैं IAS अशोक खेमका जिन्होंने रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील की थी कैंसिल? 34 साल
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
IAS Ashok Khemka
Caption

IAS Ashok Khemka

Date updated
Date published
Home Title

कौन हैं IAS अशोक खेमका जिन्होंने रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील की थी कैंसिल? 34 साल की सर्विस में 57 बार हुए ट्रांसफर

Word Count
642
Author Type
Author