भारत में शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर नीति आयोग (NITI Aayog) की ताजा रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार, कई राज्यों में युवाओं की अंग्रेजी भाषा की कमजोर पकड़ उनकी रोजगार क्षमता को प्रभावित कर रही है. खासतौर पर राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) से ग्रेजुएट्स करने वाले छात्रों को इस समस्या का अधिक सामना करना पड़ता है. 

रिपोर्ट का कहना है कि कई राज्यों में स्थानीय उद्योगों में काम करने वाले कुशल लोग बाहरी राज्यों से आते हैं, क्योंकि स्थानीय युवाओं को अंग्रेजी में दक्षता की कमी के कारण अवसरों से वंचित रहना पड़ता है. इस प्रवृत्ति के कारण राज्यों से प्रतिभाओं का पलायन भी देखने को मिल रहा है.

नीति आयोग की सिफारिशें
इस चुनौती से निपटने के लिए नीति आयोग ने राज्य सरकारों को सुझाव दिया है कि वे अंतरराष्ट्रीय भाषा संगठनों के साथ मिलकर अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें. रिपोर्ट में पंजाब और कर्नाटक के उदाहरण दिए गए हैं, जहां इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए हैं. गौरतलब है कि, पंजाब सरकार ने 2023 में ब्रिटिश काउंसिल के साथ मिलकर अंग्रेजी भाषा दक्षता को बढ़ाने के लिए एक पहल शुरू की थी. वहीं कर्नाटक सरकार ने 2024 में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने, भाषा कौशल को सुधारने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए चार विशेष कार्यक्रम शुरू किए. रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रयासों से छात्रों की रोजगार क्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों से जुड़ा मुद्दा
यह सिफारिश ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार पेशेवर पाठ्यक्रमों जैसे इंजीनियरिंग और चिकित्सा में भी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दे रही है. हालांकि, नीति आयोग का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए अंग्रेजी में दक्षता आवश्यक है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जिससे वैश्विक स्तर पर भारतीय छात्रों की मान्यता बढ़े.

डिजिटल लर्निंग में सुधार और स्किल डेवलपमेंट की जरूरत
रिपोर्ट में डिजिटल शिक्षा की कमियों को भी उजागर किया गया है. SPUs में डिजिटल लर्निंग के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे की कमी, शिक्षकों की ऑनलाइन शिक्षा में दक्षता का अभाव और अपर्याप्त डिजिटल संसाधन बड़े मुद्दे हैं. 

नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि –

  • विश्वविद्यालयों में हाई-स्पीड इंटरनेट और डिजिटल लर्निंग सेंटर्स बनाए जाएं.
  • इंटर्नशिप प्रोग्राम को बढ़ावा दिया जाए, ताकि छात्रों को व्यावहारिक अनुभव मिल सके.
  • विश्वविद्यालयों को विदेशी संस्थानों के साथ साझेदारी करनी चाहिए ताकि छात्रों को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर मिल सके.

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अंग्रेजी के साथ अन्य कौशल भी महत्वपूर्ण
नीति आयोग की इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि केवल डिग्री हासिल करना रोजगार की गारंटी नहीं है. छात्रों को अंग्रेजी के साथ-साथ डिजिटल और तकनीकी कौशल भी विकसित करने होंगे, ताकि वे रोजगार के बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें. रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि शिक्षण प्रणाली और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े सुधार की जरूरत है.

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niti aayog report states that the inability to speak english well is a key reason state university graduates struggle to find jobs read full story
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क्या अंग्रेजी की कमी से भारत में ग्रेजुएट्स को नहीं मिल रही नौकरी? नीति आयोग की
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क्या अंग्रेजी की कमी से भारत में ग्रेजुएट्स को नहीं मिल रही नौकरी? नीति आयोग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
 

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