अब सीबीएसई ने बच्चों को उनकी मातृभाषा पढ़ाने के लिए कमर कस ली है. सीबीएसई स्कूलों में बच्चों को शुरुआती कक्षाओं जैसे प्री प्राइमरी और प्राइमरी क्लासेस में उनकी मातृभाषा या उनके क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा पढ़ाई जाएगी. सीबीएसई का मानना है कि इससे बच्चे बेहतर तरीके से अपना सिलेबस समझ और पढ़ पाएंगे.
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 के तहत सीबीएसई ने उस लर्निंग मैटेरियल को अनिवार्य कर दिया है जो स्टूडेंट्स की मातृभाषा या उनके क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा में पढ़ाया जाएगा. इस स्टडी मैटेरियल को लैंग्वेज प्राइमर का नाम दिया गया है.
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NEP 2020 के मुताबिक अगर बच्चों को उस भाषा में पढ़ाया जाता है जिसे वह पहले से जानते हैं तो वह बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. इसके लिए नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लैंग्वैजेज ने मिलकर 52 बुक्स का कलेक्शन बनाया है. सीबीएसई के मुताबिक भुतिया, बोडो, गारो, खंदेशी, किन्नौरी, कुकी, मणिपुरी, नेपाली, शेरपा और तुलु भाषाओं के लिए किताबें तैयार हो गई हैं. इन किताबों में संख्या और वर्णमाला के साथ शब्दों के उच्चारण, शब्दों के मतलब, वर्णमाला की पहचान जैसी बातों का भी ध्यान रखा गया है.
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कई रिसर्च में भी यह पाया गया है कि अगर हम अपनी मातृभाषा में पढ़ें तो हमारा दिमाग ज्यादा बेहतर तरीके से विकसित होता है, हम बोलने में भी माहिर होते हैं और स्कूल में भी बेहतर करते हैं. इस तरह से सीबीएसई के इस कदम की लोग सराहना कर रहे हैं.
आप इस लिंक पर क्लिक कर लैंग्वेज प्राइमर को डाउनलोड कर सकते हैं
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अब CBSE स्कूलों के प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ाई जाएगी मातृभाषा, समझें पूरा प्लान