भारत जैसे देश में आईएएस बन जाना किसी बड़े सपने के पूरे होने जैसा है. लेकिन क्या कोई दागदार आईएएस अफसर बनना चाहेगा? आज हम आपको एक ऐसे ही आईएएस अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने इंजीनियरिंग करियर को छोड़ सिविल सेवा में आने का मन बनाया. लेकिन फिलहाल सस्पेंशन का दर्द झेल रहे हैं.
इन आईएएस अधिकारी का नाम आयुष ओक है. अभी कुछ दिन पहले ही इन्हें गुजरात सरकार ने गंभीर लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया है. उनपर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 2,000 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी संपत्ति के खाली जमीन को पट्टे पर देने का आदेश दिया था.
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जून 2021 से फरवरी 2024 के बीच राजस्व भूमि मामले को संभालने के दौरान राज्य सरकार के खजाने को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने का भी इसपर आरोप है. इस समयसीमा में वह सूरत जिले के कलेक्टर थे. इसके बाद आयुष ओक 2 फरवरी से वलसाड में कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे.
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बता दें आयुष ओक 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें साल 2011 में अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 42वीं रैंक मिली थी. अपने पहले के दो अटेंप्ट में वह इंटरव्यू तक पहुंचे थे लेकिन उनका फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाया था. ओक ने पुणे के महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की है और इसके बाद इंस्टीट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव करियर (SIAC) से सिविल सेवा की तैयारी की.
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UPSC में लाए थे 42वीं रैंक, अब क्यों सस्पेंड हुए आयुष ओक?