डीएनए हिंदी: बिना MSP के किसान का भला नहीं हो सकता, ये तर्क लगातार दिया जाता रहा है. मगर आकंड़े दर्शाते हैं कि MSP मिले बिना ही दूध का बाजार, गेहूं और चावल से ज्यादा हो गया है. इससे पता चलता है कि अगर किसान संगठित हो, नयी तकनीक और बाजार से उसे जोड़ा जाए तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दिन बदल जा सकते हैं. विश्व दूध दिवस पर जानिए कि दूध कैसे भारत की अर्थव्यस्था को मजबूत बना रहा है, साथ ही कौन से राज्य इसमें सबसे ज्यादा योगदान कर रहे हैं.
विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक भारत
भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है. दुनिया के एक चौथाई दूध (23 %) का उत्पादन भारत में ही होता है. दूध भारत की अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान करता है, जिससे देश के 8 करोड़ किसान सीधे तौर से जुड़े हैं. भारत अमेरिका की तुलना में 50% अधिक और चीन से तीन गुना ज्यादा दूध का उत्पादन करता है.
दूध का उत्पाद मूल्य गेहूं और धान से 50 % ज्यादा
भारत में दूध का उत्पाद मूल्य, गेहूं और धान के कुल उत्पाद मूल्य से ज्यादा हो चुका है. तीन दशक पहले 1990 तक बाजार में दूध का कुल बाजार, गेहूं और चावल से काफी कम होता था. साल 1990-91 में दूध का उत्पाद मूल्य 28,200 करोड़ रुपये था जोकि गेहूं और धान के कुल उत्पाद मूल्य 40,400 करोड़ से काफी कम था. साल 2010-11 में दोनों लगभग बराबरी पर आ गए, मगर साल 2018-19 तक आते-आते दूध ने बाजी मार ली. दूध का उत्पाद मूल्य 7.27 लाख करोड़ पार हो गया जो कि गेहूं और धान का कुल उत्पाद मूल्य (4.97 लाख करोड ) 50 प्रतिशत ज्यादा है.
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दूध का बाजार, बाकी कृषि उत्पादों के लिए सबक
MSP के लिए पिछले कुछ सालों में खूब धरना प्रदर्शन और चर्चा हुई. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ कमेटी ने बताया कि MSP को फसलों का न्यूनतम क्रय मूल्य बना देना तर्कसंगत और व्यावहारिक नहीं हैं.
अगर हम दूध और बाकी कृषि फसलों की तुलना करें तो दूध को सहेजना, उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ इसे लाभप्रद बनाना कहीं ज्यादा मुश्किल काम है. मगर ये सब किसान सहकारी के साथ जुड़ता है, उसे नए बाजारों और नई तकनीक की मदद मिलती है तो नतीजा हम सबके सामने है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट बताते हैं कि केवल दूध बेचना फायदे का धंधा नहीं है, नुकसान होने की भरपूर संभावना है. ऐसे में दूध की प्रोसेसिंग के कारण न केवल उत्पादों की आयु बढ़ती है बल्कि उसका मूल्य संवर्धन (Value addition) भी होता है, जिस कारण से किसान के लिए फायदा होता है. मगर इन सब कामों के लिए लगने वाली पूंजी और उत्पादों को मार्केट करने के लिए संगठित क्षेत्र का होना बहुत जरुरी है
भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़ी
साल 2010-11 में , भारत का दूध उत्पादन 127 मिलियन टन था जो कि साल 2019-20 तक आते आते 198 लाख मिलियन टन हो गया है. उत्पादन बढ़ने के साथ साथ देश में प्रति व्याक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है. भारत का प्रति व्याक्ति दूध उपलब्धता 406 ग्राम प्रतिदिन हो गई है जो कि दुनिया की औसत (330 ग्राम प्रतिदिन) से लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा है. शाकाहारियों के लिए प्रोटीन के लिए दालों और दूध पर ही निर्भर रहना होता है ऐसे में प्रति व्याक्ति दूध उपलब्धता बढ़ना देश की सेहत के लिए अच्छा संकेत हैं.
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ये राज्य देते हैं देश को आधे से ज्यादा दूध
भारत में दुग्ध उत्पादन में नम्बर एक बनाने में देश के कई राज्यों का योगदान है. जिसमें दो राज्य उत्तर प्रदेश (14.9 %) और राजस्थान (14.6%) देश के करीब एक तिहाई दूध का उत्पादन करते हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश (8.6 %) , गुजरात (7.6 %) और आंध्र प्रदेश (7 %) का स्थान आता है. ये पांच राज्य देश के कुल दूध उत्पादन में 50% से अधिक का योगदान देते है.
देश का 50 % दूध देती हैं भैंसे, उत्पादन में क्रॉसब्रीड गाय अव्वल
पशु प्रंबधन और डेयरी मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार देश का करीब आधा दूध भैंसें (49 %) देती हैं. बाकी आधा क्रॉसब्रीड गाय (28 %) और देसी गाय (20%) मिलता है. वहीं अगर उत्पादन की बात करें तो भारत प्रति पशु उत्पादन में अभी भी काफी कम है. देश में क्रॉसब्रीड गाय उत्पादन में अव्वल है जो औसतन 8 किलो प्रतिदिन दूध देती है. वहीं भैंस 6.4 किलो प्रतिदिन औऱ देसी गाय 3.9 किलो प्रतिदिन दूध देती है.
बढ़ रहा है डेयरी उत्पादों का निर्यात
देश के डेयरी उत्पादों का निर्यात पिछले 5 सालों में 50 प्रतिशत बढ़ गया है. जहां साल 2016-17 में भारत का डेयरी निर्यात 135 मिलियन डालर था जो कि साल 2018-19 में ढाई गुना बढ़कर 346 $ मिलियन डालर तक पहुंच गया था. हालांकि अब इसमें कोविड महामारी के बाद वैश्विक व्यापार में कमी का असर यहां भी देखने को मिला.
ये देश हैं भारत के मिल्क प्रोडक्ट के खरीदार
भारत ने साल 2020-21 में 1492 करोड़ रुपये के डेयरी उत्पादों का निर्यात किया गया. APEDA के डाटा के अनुसार भारत के दूग्ध उत्पादों का सबसे ज्यादा निर्यात संयुक्त अरब अमीरात (UAE 20 %), बांग्लादेश (12 %), USA (11 %),भूटान (11%), सिंगापुर (8 %) को होता है.
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World Milk Day : बिना MSP के दूध का बाजार 8.5 लाख करोड़ के पार, गेहूं और चावल की कुल कीमत से 50 प्रतिशत ज्यादा