डीएनए हिंदी: दिल्ली सरकार की पूर्व एक्साइज पॉलिसी को लेकर के सीबीआई की टीम ने शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर छापेमारी की. इसकी जानकारी खुद मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके दी. CBI ने सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व एक्साइज कमिश्नर अरावा गोपी कृष्णना के आवास समेत 21 ठिकानों पर छापेमारी की. जांच एजेंसी की ये कार्रवाई दिल्ली समेत 7 राज्यों में चल रही है. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब केजरीवाल सरकार ने अपनी नई एक्साइज पॉलिसी वापस ले ली है, फिर CBI डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया घर छापेमारी क्यों कर रही है? जांच एजेंसी कौनसे सवालों के जवाब तलाश कर रही है?
दरअसल, इस एक्साइज पॉलिसी को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, चुनिंदा नौकरशाहों और निजी कारोबारियों पर सीधे तौर पर रिश्वत लेने का आरोप लग रहा है. पिछले साल 15 अप्रैल को केजरीवाल सरकार इस पॉलिसी को लेकर आई थी. आरोप है कि शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए केजरीवाल कैबिनेट ने ये फैसला लिया था. वहीं, उपराज्यपाल कार्यलय का भी आरोप है कि ऐसा तभी संभव है जब आबकारी एवं वित्त मंत्री या इससे जुड़े बड़े अधिकारी को रिश्वत दी जाए. पिछले दिनों LG विनय सक्सेना ने इस मामले में सीबीई जांच की मांग की थी.
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किन सवालों जवाब तलाश रही है CBI?
सीबीआई इस निर्णय की अवैधता दिखाने के लिए ये जानने की कोशिश कर रही है कि पॉलिसी में बदलाव कैसे किया गया?
एयरपोर्ट पर शराब लाइसेंसधारियों का पैसा जब्त करने की बजाय 30 करोड़ रुपये कैसे वापस किए गए?
निविदा के लिए आवेदन करने वाले शराब लॉबी को लगभग 143.46 करोड़ रुपये की एकमुश्त छूट कैसे दी गई?
अगर शराब कार्टेल को यह एकमुश्त छूट दी गई थी तो कैबिनेट को लूप में क्यों नहीं रखा गया था?
शराब कार्टेल को 144.36 करोड़ रुपये की छूट
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि कोरोना महामारी का बहाना बनाकर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस टेंडर पर शराब कार्टेल को 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. दिल्ली के उपराज्यपाल का कहना कि इस छूट के बदले सरकार को किकबैक और कमीशन मिला होगा. आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने तब कैनिनेट को पॉलिसी में संशोधन करने के लिए खुद को अधिकृत करने का निर्णय लेने के लिए कहा ताकि लाइसेंस शुल्क में छूट दी जा सके.
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पॉलिसी लाने में की गई जल्दबाजी
आरोप यह भी लगाया गया है कि इस अवैध पॉलिसी को वैध बनाने के लिए जल्दबाजी की गई. नई एक्साइज पॉलिसी को कैबिनेट में लाने के लिए 14 जुलाई को सुबह 9:30 बजे मुख्य सचिव के पास भेजा गया, जबकि कैबिनेट की मीटिंग 2 होनी थी. इसके लिए कोई कैबिनेट नोट प्रसारित नहीं किया गया. कानूनी तौर पर 48 घंटे पहले नोट को उपराज्यपाल के पास पहुंचाना जरूरी होता है. सिसोदिया शाम 5 बजे एलजी कार्यालय पहुंचे थे. इसके बाद उपराज्यपाल के अनुमोदन के बिना आबकारी विभाग द्वारा केवल मंत्री के निर्णय पर नई एक्साइज पॉलिसी को लागू कर दिया गया.
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जानिए मनीष सिसोदिया के घर CBI ने क्यों मारी रेड? किन सवालों के जवाब तलाश रही है जांच एजेंसी