डीएनए हिंदी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) 80 साल की उम्र में कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) पद के लिए हुए चुनाव में शशि थरूर को हराकर देश की सबसे पुरानी पार्टी की अगुवाई हासिल की है. कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे राज्य सरकार में विधायक और मंत्री के बाद केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. सिर्फ़ 5 साल की उम्र में अपनी मां को जिंदा जलता देखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे का एक वक्त ऐसा भी आया था कि जब उन्हें कुछ महीनों तक जंगल में जीवन बिताना पड़ा. बचपन से ही संघर्ष करने वाले खड़गे 9 बार विधायक और दो बार सांसद रहे. कई बार वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए. दलित समुदाय ये आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे से कांग्रेस को उम्मीद है कि वह पार्टी में जान फूंकने में कामयाब है.
साल 1942 में जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे सिर्फ़ 5 साल के थे जब देश आजाद हुआ. तब के मैसूर यानी कर्नाटक में विभाजन के वक्त हिंदू-मुस्लिम दंगे फैल गए. इन दंगों की आड़ में मल्लिकार्जुन खड़गे का वरवट्टी गांव भी आ गया. इन्हीं दंगों की आड़ में लुटारी भी काफी सक्रिय थे. ये लुटारी अमीरों को लूटते थे. इन्हीं लुटारियों ने खड़गे के पूरे गांव में लगा दी. मल्लिकार्जुन खड़गे की मां भी आग की चपेट में आ गईं और उनकी आंखों के सामने ही उनकी मौत हो गई.
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पिता के साथ जंगल में भी रहे मल्लिकार्जुन खड़गे
आगजनी की घटनाओं, दंगों और लूटपाट के बीच मल्लिकार्जुन खड़गे के पिता उन्हें बचाकर जंगल में भाग गए. 3 महीने वह जंगल में रहे और मजदूरी करके घर चलाया. खड़गे के पिता ने अपने बेटे से मजदूरी नहीं करवाई और उनकी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दिया. पढ़-लिखकर मल्लिकार्जुन खड़गे वकील बने और राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया.
पढ़ाई-लिखाई के दौरान ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजनीति शुरू कर दी थी. वह अपने स्कूल में हेड ब्वाय और कॉलेज में स्टूडेंट लीडर बने. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा तो विधायक भी बन गए. कुल 9 बार वह विधायक रहे और दो बार सांसदी जीते. इंदिरा गांधी के समय से ही गांधी परिवार के करीबी रहे मल्लिकार्जुन खड़गे आज भी सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं.
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बिना पैसे लिए लड़ते थे मजदूरों के केस
खड़गे के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन में कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी थे और स्कूल लेवल पर कई बार इनाम जीते. वकालत में भी उन्होंने झंडे गाड़े. उनके बारे में कहा जाता है कि अगर वह गरीबों का केस लड़ते थे तो उनसे पैसे नहीं लेते थे. यही वजह थी कि वह बहुत जल्दी की कर्नाटक के मजदूरों और दलितों में मशहूर हो गए थे. वह गुलबर्गा के मजदूर संघ के नेता थे, तभी कांग्रेस नेताओं की नजर में आ गए.
मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार
मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियां हैं. बड़े बेटे राहुल खड़गे परिवारिक बिजनेस संभालते हैं. दूसरे बेटे मिलिंद खड़गे डॉक्टर हैं और सबसे छोटे बेटे प्रियांक खड़गे गुलबर्गा के चित्तपुर से कांग्रेस के विधायक हैं. प्रियांक खड़गे 2016 में सिद्धारमैया की सरकार में और बाद में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
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