डीएनए हिंदी: आपने कहावत तो सुनी होगी- Time Is Money. स्विट्जरलैंड में इस कहावत पर अमल करते हुए अब पैसों की तरह ही टाइम का भी एक बैंक खोला गया है. स्विट्जरलैंड की इस टाइम बैंक योजना के जरिए देश के नागरिक किसी की मदद के लिए अपना समय देकर उस समय को मनी या पूंजी के रूप में टाइम बैंक में सेव करेंगे. जब भविष्य में उन्हें किसी के वक्त की जरूरत पड़ेगी तब पूंजी के रूप में जमा उनका समय किसी अन्य व्यक्ति के रूप में उनके पास वापस आ जाएगा.
सरल शब्दों में कहें तो बढ़ते अकेलेपन की समस्या को दूर करने के लिए ये एक अच्छी पहल की गई है. इसमें आप अपने समय को पूंजी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. स्विट्जरलैंड के स्वास्थय मंत्रालय ने यह योजना खासतौर पर अकेले रह रहे बुजुर्गों को ध्यान में रखकर तैयार की है. इसके तहत देश के लोग अपनी इच्छा से जरूरतमंद बुजुर्गों या अकेले रह रहे लोगों की सेवा कर सके हैं. अकेले रह रहे लोगों का अकेलापन दूर करने के लिए उनके साथ समय बिता सकते हैं. कोई एक्टिविटी इत्यादि शुरू कर सकते हैं.
किसी भी व्यक्ति का दिया गया यह वक्त इन वॉलंटियर्स के सामाजिक सुरक्षा खाते में टाइम यूनिट के रूप में जमा हो जाएगा. जब ये वॉलंटियर्स वृद्धावस्था में पहुंचेंगे और उन्हें भी किसी भी काम में मदद की जरूरत होगी तो टाइम बैंक उनके लिए वॉलंटियर की व्यवस्था करेगा. जितना समय उन्होंने टाइम बैंक में जमा किया होगा, उतने ही वक्त के लिए वे भी मदद पा सकेंगे.
कैसे जमा कर सकते हैं समय
टाइम बैंक का कॉन्सेप्ट लेन-देन के मॉडल पर बना है. इसके तहत सलाह-मशविरा, बच्चों की देखभाल, सैलून संबंधी मदद, हाईजीन संबंधी मदद, गार्डनिंग, घर का कोई काम या कोई अन्य समय लेने वाला काम शामिल है. काम में लगने वाले समय को टाइम बैंक द्वारा ट्रैक किया जाता है. ये समय टाइम यूनिट के रूप में जमा होता जाता है.
इन देशों में है टाइम बैंक
एकाकी परिवारों के साथ-साथ बुजुर्गों के अकेले रहने का चलन या मजबूरी भी दुनिया भर में बढ़ती जा रही है. नौकरी के चलते बच्चे माता-पिता से अलग रहते हैं. ऐसे में दोनों ही तरफ के इस अकेलेपन को भरने के लिए टाइम बैंक सरीखे कॉन्सेप्ट को काफी पसंद किया जा रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, न्यूजीलैंड, स्पेन और ग्रीस जैसे देश भी इस सिस्टम को अपना चुके हैं.
सिंगापुर में इसे जल्द लागू करने पर विचार किया जा रहा है.
मध्यप्रदेश में बना देश का पहला टाइम बैंक
भारत में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने 2018 में इस योजना को अपनाने की सिफारिश की थी. समिति के सुझावों के आधार पर ही 2019 में मध्यप्रदेश टाइम बैंक खोलने वाला देश का पहला राज्य बना था. आज यहां 500 लोग वॉलंटियर कर चुके हैं.
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